उप पंजीयक उमेश गुप्ता के संरक्षण में जिले में खुलेआम हो रहा भ्रष्टाचार? खिसोरा बना बानगी?

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Is corruption happening openly in the district under the protection of Deputy Registrar Umesh Gupta? Khisora became a hallmark?

रायपुर – जांजगीर चांपा जिले में सहकारिता विभाग में जमकर भ्रष्टाचार चल रहा है। भ्रष्टाचार का केंद्र बिंदु बना उप पंजीयक कार्यालय काफी चर्चे में है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार से लेकर अब तक भाजपा शासन में पदस्थ उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं उमेश गुप्ता की कार्यशैली से सवाल उठने लगा है क्योंकि उमेश गुप्ता जब से जिले में उप पंजीयक की जिम्मेदारी सम्हाल रहे हैं तब से लेकर अब तक भ्रष्टाचार के अनेकों मामले सामने आ चुके हैं।

 

समाचार पत्रों से लेकर कार्यालय में शिकायतें भी दर्ज कराई गई है। बावजूद उमेश गुप्ता की स्वेच्छाचारिता है कि अब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो सकी है। मृत व्यक्ति के नाम पर केसीसी लोन, फर्जी रकबा के आधार से केसीसी लोन, कागजों में धान की खरीदी जैसे मामले जिले में आम हो चुके हैं। लेकिन उप पंजीयक द्वारा अपने कार्य के प्रति बरती जा रही लापरवाही से शासन को भारी आर्थिक क्षति पहुंच रही है।

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ताजा मामला जांजगीर चांपा जिले के धान खरीदी केंद्र खिसोरा का है जहां उपार्जन केंद्र से लगभग 2000 क्विंटल धान गायब हो गया जिसकी कीमत लगभग 62 लाख रुपए है। उपार्जन केंद्र से धान गायब करने में खरीदी केंद्र प्रभारी विनोद आदिले, सुपरवाइजर सत्यप्रकाश कुर्रे, कंप्यूटर ऑपरेटर अरुणा की मिली भगत नजर आ रही है जिसने मिलकर शासन को लाखों रुपए का चूना लगा दिया। मामले की शिकायत एवं समाचार प्रकाशन के बाद भी उप पंजीयक गुप्ता द्वारा कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई।

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हालाकि मीडिया को जानकारी देते हुए उप पंजीयक ने मामले की जांच के लिए टीम गठित करने की बात कही गई थी जिसमें शाखा प्रबंधक बलोदा मुकेश पाण्डेय और सहकारिता निरीक्षक गोस्वामी को जांच कर रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस बात को लगभग 10 दिन बीत गए लेकिन इस मामले से जुड़े कुछ तथ्य और जांच संबंधी जानकारी अब तक सामने नहीं आई है, आखिरकार इसे क्या माना जावे।

 

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इसके अलावा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा – चांपा में मृत व्यक्ति के नाम पर केसीसी लोन निकालने का मामला सामने आया था जिसमें जांच उपरांत मामले को सही भी पाया गया था। लेकिन इस मामले में समिति में दोषियों के खिलाफ सिर्फ कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर दी गई लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं कराया गया।

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इतना ही नहीं बल्कि बैंक में पदस्थ शाखा प्रबंधक, कैशियर सहित अन्य कर्मचारी जिनकी लापरवाही से राशि का भुगतान किया गया के ऊपर FIR तो दूर की बात जांच तक नहीं कराई गई, सिर्फ जांच कराने की बातें कहीं जा रही है जबकि मामला को कई महीने बीत गए।

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पूर्व में भी खिसोरा मंडी में केसीसी लोन में बगैर कृषक की जानकारी के राशि आहरण करने एवं उनके नाम पर फर्जी धान बिक्री करने के बावजूद ऋण वसूली नहीं करने का मामला कलेक्टर जनदर्शन में पहुंचा था जिसमें शाखा प्रबंधक मुकेश पाण्डेय की भी संलिप्तता नजर आ रही थी। इस मामले में शाखा प्रबंधक पांडे ने मीडिया को यह भी कहा है कि लगातार ऋण वसूली का दबाव आने के कारण तत्कालीन कंप्यूटर ऑपरेटर अरुणा से उक्त राशि को जमा कराया गया था।

 

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इस तरह लगातार दोषियों को बचाने में शाखा प्रबंधक मुकेश पांडे सामने नजर आ रहे हैं जबकि ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ जांच कर एफआईआर जैसी कार्रवाई होनी चाहिए थी। ताकि जिले में इस तरह के मामलो की पुनरावृत्ति ना हो सके। लेकिन दुर्भाग्य है कि इस बार भी खिसोरा मंडी में केसीसी लोन पर भ्रष्टाचार किया गया है।

इस तरह की कार्रवाई एवं जिस तरह से लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं, इसे देखने से स्पष्ट होता है कि उप पंजीयक कार्यालय भ्रष्टाचार का केंद्र बिंदु बना हुआ है और उप पंजीयक के इशारे में खरीदी प्रभारियों एवम् शाखा प्रबंधकों द्वारा सिंडिकेट बनाकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है और शासन को लाखों रुपए की क्षति भी पहुंचाई जा रही है।

जल्द ही उप पंजीयक उमेश गुप्ता के खिलाफ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से लिखित शिकायत करते हुए तत्काल उन्हें जिला के प्रभार से हटाने एवं उनके कार्यकाल की पूरी जांच कर कड़ी कार्रवाई करने शिकायत की जाएगी। ताकि जांच में उन दोषियों पर भी कार्रवाई हो सके जो भ्रष्टाचार के सिंडिकेट की कड़ी से जुड़े हुए हैं और शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं जिसमें शाखा प्रबंधक से लेकर खरीदी केंद्र प्रभारी एवं ऑपरेटर जांच की रडार में आ सकते हैं।

इस मामले से जुड़ा है तार…

जांजगीर चांपा जिले में धान खरीदी केंद्र खिसोरा एवं सिवनी का मामला सबसे ज्यादा चर्चे है जिसमें जांच के नाम पर उप पंजीयक द्वारा सिर्फ खानापूर्ति कराई गई है और दोषियों को बचाने का प्रयास किया गया है। जबकि सिवनी वाले मामले में जांच भी हुई है और फर्जीवाड़ा में मुहर भी लग चुका है बावजूद अब तक एफआईआर नहीं कराया गया।

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