क्या एक ही परिवार के लोगों ने किया मिलकर भ्रष्टाचार? कलेक्टर कार्यालय पहुंचा मामला…

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क्या एक ही परिवार के लोगों ने किया मिलकर भ्रष्टाचार? कलेक्टर कार्यालय पहुंचा मामला…

रायपुर – छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में सहकारिता में जमकर भ्रष्टाचार चल रहा है। धान खरीदी कार्य समिति में नियुक्त भ्रष्ट कर्मचारियों के लिए किसी वरदान से कम नजर नहीं आ रहा है। नियमों को ताक पर रखकर फर्जी दस्तावेजों के सहारे शासन को लाखों रुपए का चूना भी लगा रहे है जिसमें राजस्व विभाग के कर्मचारियों की भी संलिप्तता नजर आ रही है।

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ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां एक ही परिवार में कई लोगो ने फर्जी रकबा में धान बिक्री किया है। कहावत भी है “सईया भाए कोतवाल तो डर की बात की”। यह कहावत इस मामले में पूरी तरह से चरितार्थ नजर आ रही है क्योंकि जिसे फर्जीवाड़े को रोकना था, उसका ही खुला संरक्षण प्राप्त हुआ है।

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पूरा मामला सक्ती जिले के धान खरीदी केंद्र बरपाली का है। इस केंद्र में पदस्थ संस्था प्रबंधक / प्रभारी रूपेंद्र जायसवाल की मनमानी शुरू से चलती आ रही है। धान खरीदी वर्ष 2014-15 एवं 2015 – 16 में रूपेंद्र जायसवाल ने अपने परिवार को फर्जी रूप से लाभ दिलाने का काम किया है। रिश्तेदारी में भाई होने वाले दो लोगों को जमकर लाभ पहुंचाया है और फर्जीवाड़ा कर शासन को लाखों रुपए की आर्थिक क्षति भी पहुंचाई है। इस पूरे मामले की लिखित शिकायत पूरे दस्तावेजों के साथ सक्ती कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना से करते हुए कार्रवाई की मांग की गई है।

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शिकायतकर्ता ने पत्र के माध्यम से कलेक्टर को अवगत कराया है कि रूपेंद्र जायसवाल जो की धान खरीदी केंद्र बरपाली, जिला – सक्ती में वर्तमान में संस्था प्रबंधक/प्रभारी के पद पर है के द्वारा खरीदी वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में अपने सगे संबंधियों को लाभ पहुंचाने का काम किया है। उनके द्वारा फर्जी रकबा पंजीयन कर दो सगे भाइयों को समर्थन मूल्य में धान विक्रय करने का लाभ दिलाया है। इस पूरे मामले में दोनों सगे भाइयों की पूरी संलिप्तता भी नजर आ रही है क्योंकि जिनके नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में भूमि ही नहीं है वह आखिरकार किसकी भूमि पर अपना पंजीयन कराया है।

पहला मामला छवि शंकर जायसवाल पिता बुद्धेश्वर प्रसाद का है जो की ग्राम सलीहाभाठा का निवासी है। छविशंकर जायसवाल के नाम पर खरीदी वर्ष 2014-15 में अलग-अलग दो पंजीयन किया गया है और दोनों ही पंजीयन में उनके द्वारा कुल 99.80 क्विंटल धान का विक्रय किया गया है जबकि उक्त मात्रा में धान बेचने के लिए पर्याप्त भूमि का होना आवश्यक है। लेकिन छवि शंकर जायसवाल के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में भूमि दर्ज नहीं है।

वहीं दूसरा मामला प्रभाशंकर पिता बुद्धेश्वर से जुड़ा हुआ है जो की छवि शंकर जायसवाल का सगा भाई है और रूपेंद्र जायसवाल का रिश्ते में भाई लगता है। रूपेंद्र जायसवाल के द्वारा वर्ष 2015 -16 में प्रभा शंकर के नाम से 130 क्विंटल धान खरीदी किया गया है, जबकि प्रभाशंकर के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में आज दिनांक तक कोई भी भूमि दर्ज नहीं है। बल्कि उसके भाई छविशंकर के नाम के साथ शामिल है जिसका पंजीयन स्वयं छवि शंकर जायसवाल के द्वारा लगातार किया जा रहा है और लाभ भी ले रहा है।

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इस पूरे मामले में रूपेंद्र जायसवाल के द्वारा अपने परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए इस षड्यंत्र को रचा गया है और इस षड्यंत्र से शासन को लाखों रुपए की क्षति भी हुई है जिसकी भरपाई किया जाना शासन हित में है। वही इस तरह फर्जी दस्तावेज एवं रकबा के आधार पर पंजीयन कर अपने सगे संबंधियों को लाभ पहुंचाने के मामले में रूपेंद्र जायसवाल के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्राथमिकी दर्ज कर दोषी पाए जाने पर सेवा से बर्खास्त करने की कार्यवाई होनी चाहिए।

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इसके साथ ही इस मामले में लाभ प्राप्त करने वाले छवि शंकर जायसवाल एवं प्रभाशंकर जायसवाल के विरुद्ध भी प्राथमिकी दर्ज कर जांच एवं कार्रवाई करने की सख्त जरूरत है। शिकायतकर्ता ने कलेक्टर से निवेदन किया है कि उक्त मामले में जांच कर सभी दोषियों के ऊपर कड़ी कार्रवाई करें।

अब देखना होगा कि इस मामले में कलेक्टर द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है।

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