Friday, July 11, 2025

ज्ञानवापी परिसर का ASI से अतिरिक्त सर्वे कराने का प्रार्थना पत्र खारिज

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वाराणसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) युगल शंभू की अदालत ने शुक्रवार को ज्ञानवापी में एएसआई से अतिरिक्त सर्वे कराने के प्रार्थना पत्र को निरस्त किया है। बता दें कि वादमित्र ने ज्ञानवापी में एएसआई से अतिरिक्त सर्वे कराने की अपील करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत में सात फरवरी 2024 को प्रार्थना पत्र दिया था।

ज्ञानवापी में अतिरिक्त एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) सर्वे कराने की मंदिर पक्ष की अपील सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) युगुल शंभू की अदालत ने शुक्रवार को खारिज कर दी।

मंदिर पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर में मौजूद इमारत के मुख्य शीर्ष के नीचे 100 फुट लंबा शिवलिंग होने का दावा करते हुए परिसर के शेष स्थलों की खुदाई कराकर एएसआई सर्वे कराने की मांग की थी।

प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद व सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने यह कहते हुए अतिरिक्त सर्वे का विरोध किया था कि ज्ञानवापी में पहले ही एएसआई सर्वे हो चुका है और रिपोर्ट पर अभी सुनवाई नहीं हुई है। ऐसे में दूसरा सर्वे कराने का कोई औचित्य नहीं है। उनकी तरफ से यह भी कहा गया था कि सर्वे के लिए परिसर में खुदाई करना व्यावहारिक नहीं होगा और इससे वहां के निर्माण को नुकसान पहुंच सकता है।

मामला ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर से पं. सोमनाथ व्यास, डॉ. रामरंग शर्मा, पं. हरिहर नाथ पांडेय द्वारा 1991 में दाखिल मुकदमे से जुड़ा है।

मुकदमे के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से की गई अतिरिक्त सर्वे की अपील पर अदालत ने आदेश दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एएसआई की ओर से पूर्व में किए गए सर्वे की रिपोर्ट की जांच के बाद ही कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

इसलिए सभी तथ्यों और परिस्थितियों, इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर विचार करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि आराजी संख्या 9130 (ज्ञानवापी) के संबंध में एएसआई द्वारा दायर सर्वे रिपोर्ट की जांच अभी भी की जानी है।

ज्ञानवापी स्थित पानी टंकी (वुजूखाना) जिसमें शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है, वह पूरा क्षेत्र सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर संरक्षित है। इसके अलावा, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने गैर-आक्रामक पद्धति का उपयोग करके सर्वेक्षण करने, उत्खनन तकनीक का उपयोग नहीं करने और वहां के निर्माण का कोई नुकसान नहीं करने का आदेश भी दिया है।

वादी ने अपने आवेदन में अतिरिक्त सर्वे के लिए कोई कारण का उल्लेख भी नहीं किया है। अदालत ने मुकदमे की अगली सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर की तारीख दी है। वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे।

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