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सरगुजा जिले में फिर सुविधाओं के अभाव का वीडियो सामने आया है। कोरवा जनजाति की गर्भवती महिला को उसके परिजन कांवड़ पर बैठाकर 6 किलोमीटर पैदल चले। जंगल के रास्ते पहाड़ियों पर लाठी के सहारे उतरते भी दिखे।
इसके बाद जाकर उन्हें एम्बुलेंस मिली। किसी तरह डिलीवरी तो हुई लेकिन बच्चे की हालत नाजुक बताई जा रही है। ग्रामीणों ने खुद इसका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। मामला उदयपुर ब्लॉक के वनांचल क्षेत्र का है।

2 घंटे में 6 किमी पैदल चले
दरअसल, ग्राम पंचायत सितकालो के खामखूंट गांव में करीब 16 कोरवा जनजाति परिवार रहता है। खामखूंट वार्ड क्रमांक एक है। यहां अर्जुन की पत्नी सुंदरी पहली बार गर्भवती हुई। जिसकी डिलीवरी कराने के लिए अस्पताल लेकर जाना था। लेकिन खामखूंट से बटपरगा तक पहाड़ी इलाका होने के कारण सड़क नहीं बनी है।
गांव की मितानीन नईहारो ने अस्पताल में डिलीवरी कराने के लिए प्रेरित किया। तब अर्जुन और उसकी पत्नी सुंदरी तैयार हुए। लेकिन रास्ता नहीं होने के कारण गर्भवती महिला के भाई कुंदू और उसके ससुर पनिक राम ने एक झलगी (कांवड़) बनाया। जिसके लिए खामखूंट से बटपरगा तक 6 किमी तक 2 घंटे पैदल लेकर चले।
नर्सों ने कराई डिलीवरी
इसके बाद बटपरगा से एंबुलेंस में 16 किलोमीटर दूर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केदमा शनिवार शाम 4 बजे के बाद लाया गया। यहां नर्सों ने डिलीवरी कराई। लेकिन बच्चे की स्थिति गंभीर होने के कारण रविवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर भर्ती किया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है।