खिसोरा मंडी में दोषियों को बचाने किया जा रहा षड्यंत्र? विनोद आदिले ने किया खुलासा?

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खिसोरा मंडी में दोषियों को बचाने किया जा रहा षड्यंत्र? विनोद आदिले ने किया खुलासा?

जांजगीर चांपा – जिले के बलौदा शाखा अंतर्गत धान खरीदी केंद्र खिसोरा में खरीदी प्रभारी विनोद आदिले सहित अन्य दोषियों को बचाने संबंधित अधिकारियों की खूब मिली भगत चल रही है। धान खरीदी केंद्र से गायब हुए धान की पूर्ति को लेकर कलेक्टर तक लिखित शिकायत पहुंच चुकी है बावजूद अब तक करवाई शून्य नजर आ रही है। दोषियों पर कार्यवाई नहीं होने से उनके हौसले बुलंद नजर आ रहे है जिससे शासन को भारी आर्थिक क्षति भी हो रही है।

वहीं खरीदी प्रभारी विनोद आदिले द्वारा अधिकारियों से मिलकर मामले को दबाने तरह-तरह के पैंतरे भी अपनाए जा रहे हैं। यहां तक की पत्रकार की बात को भी झूठा बताने कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, जबकि उनके द्वारा पत्रकार के सामने अपनी गलतियों को स्वीकार करते हुए माफी मांगने का वीडियो सामने आया है। आप भी सुनिए इस वीडियो में विनोद आदिले क्या कह रहे हैं।

आपने जरूर सुना होगा कि किस तरह से विनोद आदिले के द्वारा अपनी गलतियों को स्वीकार करते हुए माफ करने की बात कह रहे है। आखिरकार विनोद आदिले पत्रकार से किस बात की माफी मांग रहे हैं और क्यों उन्हें माफी मांगने की जरूरत पड़ गई। इससे स्पष्ट है कि विनोद आदिल के द्वारा सचमुच गड़बड़ी की गई है जिसकी लिखित शिकायत कलेक्टर कार्यालय पहुंच चुकी है।

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आपको बता दे खिसोरा मंडी में हुई गड़बड़ी की लिखित शिकायत जांजगीर – चांपा कलेक्टर कार्यालय तक पहुंच चुकी है और मामले में जांच कर कार्यवाई किया जाना भी निश्चित है । शिकायत की खबर वाली खबर चलते ही इस मामले से बचने के लिए माफी मांग कर अपना बचाव करने में लगे रहे। लेकिन पत्रकार द्वारा सहयोग नहीं करने पर पत्रकार को ही झूठा बताने में विनोद आदिले कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।

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आखिर किसके सहयोग से विनोद आदिले का बढ़ रहा मनोबल…

इस पूरे मामले में अब तक दोषियों पर कार्रवाई हो जानी चाहिए थे क्योंकि मामला 22 फरवरी को सामने आया था जिसका समाचार प्रकाशन भी कई बार किया जा चुका है और शिकायत भी जिले के मुखिया तक पहुंच चुकी है। बावजूद कार्रवाई लंबित है या यू कह सकते हैं कि गुपचुप तरीके से मामले को ठंडा बस्ता में डालते की नियत से विभाग के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा कार्रवाई के नाम पर खाना पूर्ति कर दी गई। क्या अधिकारियों के द्वारा इस मामले की जांच कर दी गई? और अगर जांच हो गई है तो आखिर क्या वजह है कि अब तक जांच की बात मीडिया में भी सामने नहीं आ रहा है? आखिर क्या वजह है कि विनोद आदिले को बचाने का प्रयास किया जा रहा है? क्या इस फर्जीवाड़े के पीछे विभाग के और भी बड़े अधिकारी जुड़े हुए हैं जिनका भी नाम उजागर करने की आवश्यकता है?

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किस तक पहुंचेगी जांच की आंच?

इस पूरे मामले में खरीदी प्रभारी विनोद आदिले सहित अन्य दोषियों को बचाने में शाखा बलौदा ब्रांच मैनेजर मुकेश पाण्डेय, सुपरवाइजर सत्य प्रकाश कुर्रे, एवं मामले की जांच टीम गठित करने की बात कहने वाले उप पंजीयन सहकारी संस्थाएं जांजगीर चांपा उमेश गुप्ता की भूमिका सबसे ज्यादा संदिग्ध नजर आ रही है, क्योंकि यह मामला इन अधिकारियों तक पहुंच चुका है, बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है। बल्कि मामले को दबाते हुए दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इन जिम्मेदार अधिकारियों तक क्या जांच की आंच पहुंचेगी? जल्द ही इन अधिकारियों के विरुद्ध भी शिकायत दर्ज कराई जाएगी।

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62 लाख का है मामला?

इस मामले में लगभग 2000 क्विंटल धान कागजों में पूर्ति करने की बात सामने आ रही है जिसकी कीमत लगभग 62 लाख रुपए है। सूत्रों की माने तो कागजों में खरीदी कर 2000 क्विंटल धान के एवज में समर्थन मूल्य से मिलने वाले राशि का लाभ लेकर शासन को लाखों रुपए की क्षति पहुंचाने की बड़ी साजिश रची गई है जिसकी सच्चाई जांच होने पर सामने आ सकती है।

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हालांकि इस मामले की लिखित शिकायत कलेक्टर कार्यालय तक पहुंच चुकी है। कार्यवाही नहीं होने पर मामले की उच्च स्तरीय जांच करने मांग की जाएगी। अब देखना होगा कि इस मामले में कब तक जांच हो पाती है और ऊंट किस तरफ करवट लेती है।

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