Saturday, August 2, 2025

6GHz बैंड पर बड़ा फैसला, सरकार ने ड्राफ्ट किए नए नियम, WiFi 6 ब्रॉडबैंड के लिए रास्ता साफ

6GHz स्पेक्ट्रम के डिलाइसेंसिंग नियमों का नया ड्राफ्ट जारी, स्टेकहोल्डर्स से 15 जून तक सुझाव मांगे गए, इसके बाद होगा लागू।

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सरकार ने लंबे समय से टेक कंपनियों और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स की मांग पर 6GHz स्पेक्ट्रम को लेकर नए डिलाइसेंसिंग नियम का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस नए नियम के लागू होने से भारत में WiFi 6 ब्रॉडबैंड टेक्नोलॉजी का विकास होगा, जिससे घरों और ऑफिसों में सुपरफास्ट इंटरनेट कनेक्टिविटी संभव हो सकेगी। WiFi 6 के लिए 6GHz बैंड बेहद जरूरी होता है, और इसे लेकर कंपनियां लंबे समय से सरकार से अनुमति मांग रही थीं।

16 मई 2025 को जारी इस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के अनुसार, दूरसंचार अधिनियम 2023 की विभिन्न धाराओं के तहत 5925 MHz से 6425 MHz तक के बैंड को कम पावर और बहुत कम पावर वाले वायरलेस एक्सेस सिस्टम के लिए लाइसेंसिंग से बाहर रखा जाएगा। इसका मतलब है कि इस स्पेक्ट्रम बैंड पर काम करने वाले उपकरणों को स्थापित करने, संचालित करने या बेचने के लिए अब किसी प्राधिकरण से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। यह नियम इनडोर और आउटडोर दोनों प्रकार के उपयोग को कवर करता है, लेकिन तेल प्लेटफार्म, जमीन, नाव, और एयरक्राफ्ट (10,000 फीट से नीचे) पर इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध रहेगा। साथ ही, ड्रोन और मानव रहित हवाई प्रणालियों के संचार और नियंत्रण के लिए भी यह बैंड प्रतिबंधित किया गया है।

इस ड्राफ्ट पर सभी संबंधित पक्षों से 15 जून तक सुझाव मांगे गए हैं, जिसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। इस फैसले को टेक कंपनियों और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ने काफी सराहा है, क्योंकि इससे भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

इंडस्ट्री बॉडी ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF) ने भी इस स्पेक्ट्रम बैंड की जरूरत पर जोर देते हुए कहा था कि Meta Ray Ban स्मार्ट ग्लास, Sony PS5, AR/VR हेडसेट जैसे आधुनिक गैजेट्स के लिए यह स्पेक्ट्रम अत्यंत आवश्यक है। देरी की वजह से कंपनियों को हर साल 12.7 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा था।

6GHz बैंड रेडियो वेव के तौर पर OTA (ओवर-द-एयर) डेटा एक्सचेंज की सुविधा देता है। वर्तमान में भारत में WiFi के लिए 2.4GHz और 5GHz बैंड इस्तेमाल होते हैं, जबकि 6GHz बैंड से 2Gbps तक की स्पीड मिलती है, जो 5GHz के 1Gbps की तुलना में दोगुनी है। इसके अलावा, 6GHz बैंड का कवरेज क्षेत्र भी बड़ा होता है, जिससे स्ट्रीमिंग और गेमिंग के दौरान नेटवर्क डिसकनेक्शन की समस्या कम होती है। इस प्रकार, 6GHz स्पेक्ट्रम भारत के डिजिटल भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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