Monday, November 24, 2025

600 करोड़ का खनिज न्यास घोटाला, पूर्व कलेक्टर और सहायक आयुक्त खा रही है जेल की हवा, अब इन पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार

Must Read
Getting your Trinity Audio player ready...

रायपुर/कोरबा।. छत्तीसगढ़ में खनिज न्यास (DMF) घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच तेज हो गई है। बीते दो दिनों के भीतर आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त माया वारियर और निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू को गिरफ्तार किया गया है। यह घोटाला 600 करोड़ रुपये से अधिक का है, जिसमें सरकारी अफसरों और राजनेताओं ने डीएमएफ फंड के टेंडर में भ्रष्टाचार कर मोटी रकम कमीशन के रूप में ली है।

जम्मू-कश्मीर को स्टेटहुड के प्रस्ताव को LG की मंजूरी:उमर दो दिन में PM मोदी से मिलेंगे, डिप्टी CM बोले- केंद्र वादा पूरा करे

ईडी ने विशेष कोर्ट को बताया है कि डीएमएफ के टेंडर में 25 से 40 प्रतिशत तक की राशि सरकारी अधिकारियों को रिश्वत के रूप में दी गई। टेंडर पाने के लिए प्राइवेट कंपनियों ने अधिकारियों और प्रभावशाली राजनेताओं को मोटी रकम घूस दी, जिससे भ्रष्टाचार का यह जाल फैलता चला गया। ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि टेंडर करने वालों ने सरकारी अधिकारियों और बिचौलियों को 15 से 20 प्रतिशत कमीशन दिया।

माया वारियर और रानू साहू की भूमिका

माया वारियर कोरबा में डीएमएफ के तहत स्वीकृत कार्यों की प्रमुख थीं, जबकि रानू साहू उस समय कोरबा की कलेक्टर थीं। माया वारियर ने अगस्त 2021 से मार्च 2023 तक आदिवासी विकास विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर रहते हुए अनियमितताओं को बढ़ावा दिया। रानू साहू ने माया वारियर को इस पद पर नियुक्त किया था, और दोनों ने संगठित तरीके से डीएमएफ घोटाले को अंजाम दिया। ईडी के अनुसार, इन दोनों अधिकारियों ने प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर काम करवाने के नाम पर मोटी रकम कमीशन के रूप में वसूली।

ईडी की जांच और कार्रवाई

ईडी की इस कार्रवाई के दौरान 13 स्थानों पर छापेमारी की गई थी, जिसमें डिजिटल और कागजी दस्तावेजों के साथ 2.32 करोड़ रुपये की संपत्ति और 27 लाख रुपये नकदी जब्त की गई। छापेमारी में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी हाथ लगे हैं, जो इस भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं। ईडी के सूत्रों के अनुसार, रानू साहू और माया वारियर से पूछताछ में कई बड़े नाम सामने आए हैं, जिन पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।

बिचौलियों और ठेकेदारों का नेटवर्क

जांच में पाया गया कि टेंडर करवाने वाले ठेकेदारों संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल, और शेखर ने मिलकर सरकारी अधिकारियों के साथ सांठगांठ की। इन लोगों ने टेंडर की मूल कीमत से अधिक धनराशि वसूलकर घोटाले को अंजाम दिया। डीएमएफ से जुड़े खनन ठेकेदारों ने इस भ्रष्टाचार में शामिल होकर अवैध रूप से टेंडर हासिल किए।

विशेष कोर्ट ने माया वारियर और रानू साहू को 22 अक्टूबर तक ईडी की रिमांड पर सौंप दिया है। इस दौरान ईडी दोनों से गहन पूछताछ कर रही है, जिससे भ्रष्टाचार के और भी गहरे राज सामने आ सकते हैं। ईडी के अनुसार, जांच में अन्य अधिकारियों और कारोबारी हस्तियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है, जो इस घोटाले में शामिल हो सकते हैं।

डीएमएफ घोटाला छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की गंभीर तस्वीर पेश करता है, जहां विकास कार्यों के नाम पर जनता के धन का दुरुपयोग कर अधिकारियों और राजनेताओं ने अपने स्वार्थ साधे। डीएमएफ फंड, जिसका उपयोग जिले के विकास और आदिवासी क्षेत्रों के लिए होना चाहिए था, उसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया।

यह घोटाला न केवल आर्थिक अपराध है, बल्कि समाज और राज्य के विकास पर भी एक काला धब्बा है। भ्रष्टाचार के इस जाल ने छत्तीसगढ़ के विकास कार्यों को बाधित किया है और राज्य की छवि को धूमिल किया है। अब जनता की निगाहें ईडी की कार्रवाई और दोषियों को सजा दिलाने पर हैं।

खनिज न्यास घोटाले में माया वारियर और रानू साहू की गिरफ्तारी ने राज्य में फैले भ्रष्टाचार को बेनकाब कर दिया है। ईडी की इस कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि राज्य में उच्च पदों पर बैठे अधिकारी भी भ्रष्टाचार के इस खेल में शामिल हैं। जनता अब इस उम्मीद में है कि ईडी की जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी और राज्य में विकास कार्यों को सही दिशा में आगे बढ़ाया जाएगा।

ईडी की जांच से जुड़े हर कदम पर जनता की पैनी नजर है, और उम्मीद की जा रही है कि इस घोटाले में शामिल अन्य बड़े नाम भी जल्द सामने आएंगे। यह मामला छत्तीसगढ़ में शासन और प्रशासन के स्तर पर सुधार की जरूरत को भी उजागर करता है।

बच्चों के विकास के लिए स्कूल में आए सरकारी पैसों को डकार गए पंचगवां के मास्टर साहब?

Latest News

SIR Negligence : SIR में लापरवाही, सहायक शिक्षक निलंबित

SIR Negligence  ,बलरामपुर। छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) का कार्य इन...

More Articles Like This