लखनऊ ,यूपी की सियासत में इन दिनों नारों को लेकर घमासान मचा है। योगी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ की सियासत में अखिलेश यादव और मायावती भी कूद पड़ी हैं। अखिलेश के ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ की शहर में लगी होर्डिंग्स को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर वाद-विवाद हो रहा है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस नारे को लेकर काफी आक्रामक हैं। टीवी डिबेट हो या सोशल मीडिया प्लेटफार्म, हर जगह सक्रिय नजर आ रहे हैं। सपा दफ्तर के बाहर इससे संबंधित एक होर्डिंग भी लगी है, जिस पर लिखा है जुड़ेंगे तो जीतेंगे। वहीं, योगी के नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ पर एक गाना सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। महाराष्ट्र के चुनाव में बीजेपी की ओर से यह गाना खूब बजाया जा रहा है।
इससे पहले हरियाणा के चुनाव में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह नारा दिया था तो पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नारे के आसपास की लाइन दी-एक हैं तो सेफ हैं। कुछ लोग तो हरियाणा में भाजपा की जीत के पीछे इस नारे को वजह भी बताने लगे हैं। जानिए योगी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे पर किस-किस के बयान आए? इस नारे से हरियाणा में भाजपा को फायदा कैसे मिला
अखिलेश यादव सपा प्रमुख ने सोशल मीडिया पर लिखा- जिनका नजरिया जैसा उनका नारा वैसा। अखिलेश ने इसके साथ हैशटैग के साथ ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ और सकारात्मक राजनीति लिखा। उन्होंने मुख्यमंत्री को नसीहत देते हुए कहा कि देश और समाज के हित में उन्हें अपनी नकारात्मक नजर और नजरिए के साथ अपने सलाहकार भी बदल लेने चाहिए, ये उनके लिए भी हितकर साबित होगा। एक अच्छी सलाह ये है कि ‘पालें तो अच्छे विचार पालें’ और आस्तीनों को खुला रखें, साथ ही बांहों को भी, इसी में उनकी भलाई है।
उनका ‘नकारात्मक-नारा’ उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक है। इस नारे ने साबित कर दिया है कि उनके जो गिनती के 10% मतदाता बचे हैं अब वो भी खिसकने की कगार पर हैं। इसीलिए ये उनको डराकर एक करने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन ऐसा कुछ होने वाला नहीं।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य ने कहा कि इसमें जो क्रिया इस्तेमाल की जा रही है वह भविष्यकाल की है। इसका मतलब है कि अभी बंटे नहीं हैं, अभी हम एक हैं। जब एक हैं तो वह कौन सा कारण है जिसके कारण हम बंट जाएंगे। उनको कैसे पता चल रहा है कि बंट जाएंगे हम।