शासन के कार्य को संपादित करने के बाद भी समिति कर्मचारी तंबू के नीचे बैठने हुए मजबूर…

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शासन के कार्य को संपादित करने के बाद भी समिति कर्मचारी तंबू के नीचे बैठने हुए मजबूर…

रायपुर – बड़ी खबर छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले से आ रही हैं। धान खरीदी कार्य को शांति पूर्ण रूप से संपादित करने के बाद भी समिति के सदस्य धान के उठाव को लेकर लगातार जूझ रहे हैं, उनकी परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। यही कारण है की अब अपनी मांगों को पूरा कराने कलेक्टर कार्यालय के सामने तंबू लगाकर अपनी आवाजों को बुलंद कर जल्द ही सभी समितियों में रखे शेष धान के उठाव की मांग कर रहे हैं।

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पिछले तीन दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे समिति के सदस्यों की पीड़ा पर अब तक प्रशासन की ठोस कार्रवाई नजर नहीं आ रही है यही कारण है कि लगातार चार दिनों से बैठे हुए है। हालाकि सक्ती कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना द्वारा विपणन विभाग के अधिकारियों सहित मिलरों की बैठक लेकर कड़ी फटकार लगाते हुए जल्द ही धान के उठाव को कराने निर्देशित किया है।

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वहीं विपणन विभाग के अधिकारियों की कार्यशाली में स्वेच्छाचारिता नजर आ रही है। यही कारण है कि जिले के लगभग 35 से भी अधिक खरीदी केंद्रों में 15000 क्विंटल से अधिक धान रखे हुए हैं, वही अन्य समितियों में कम है तो कही अंतिम पढ़ाव पर पहुंच चुका है। इस स्थिति को देखकर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की विपणन विभाग के अधिकारियों की मनमानी खूब चली है।

समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को लेकर शासन द्वारा निर्देश दिया गया था था जिसमें निर्धारित समय सीमा पर धान खरीदी कार्य को पूर्ण करने एवं किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न होने इस बात को भी दृष्टिगत रखते हुए एक भी किसान धान बिक्री करने से वंचित ना हो की चिन्ता करते हुए खरीदी करने कहा गया था। जिले के सभी समितियों में शासन द्वारा जारी सभी निर्देशों का अक्षरशः पालन करते धान खरीदी कार्य को शांतिपूर्ण रूप से संपन्न कराया गया।

चुकि खरीदी खत्म हो चुकी है और लगभग 20 दिन बीत गए हैं बावजूद फड़ में रखे धान का उठाव नहीं हो सका है। जानकारी अनुसार धान उठाव की जिम्मेदारी विपणन विभाग की रहती है जिन्हें समय सीमा पर उठाव करना होता है।

विभाग के निर्देश की माने तो खरीदी होने के 72 घंटे के भीतर उठाव करना अनिवार्य होता है जिसके लिए जिम्मेदार विभाग में अधिकारियों की नियुक्ति भी की जाती है लेकिन यह कही भी नजर नहीं आ रहा है। जिन अधिकारियों को 72 घंटे के भीतर उठाव कराने की जिम्मेदारी दी गई है उन पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई भी नहीं हो रही है।

यही कारण है कि 72 घंटे के भीतर उठाओ को लेकर जिम्मेदारी प्राप्त अधिकारियों की मनमानी निरंतर चली आ रही है। इन अधिकारियों एवम् कर्मचारियों की कार्यशैली संतोषजनक नहीं होने पर नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि किसी भी प्रकार की परेशानी समिति के कर्मचारियों को न हो।

समिति के कर्मचारियों की पीड़ा है कि जिले के अधिकांश खरीदी केंद्रों में उनके पास शेड नहीं बना हुआ है जिसमें धान को सुरक्षित रूप से रखा जा सके। कई खरीदी केंद्रों में तो चबूतरा भी नहीं बना हुआ है जिसके कारण सीधे जमीन पर स्टेकिंग करना मजबूरी है। इस कारण बे मौसम होने वाली बारिश से धान को क्षति पहुंच रही है, वहीं खुले में होने के कारण बरदाने भी सड़ जा रहे है, चूहे भी कुतर रहे है जिससे धान की गुणवत्ता और कमी दोनों के होने की संभावना है।

अब देखना होगा कि जिला प्रशासन एवं संबंधित विभाग द्वारा समिति के कर्मचारियों की परेशानियों पर कब उचित कार्रवाई करती है और कब उनकी मांग पूरी होती है यह तो प्रशासनिक कार्रवाई के बाद ही पता चलेगा। या फिर क्या उन्हे अपनी मांगों को पूरा कराने कलेक्टर कार्यालय के सामने बैठे रहना पड़ेगा?

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