छोटे बच्चों का ध्यान रखना आसान नहीं होता, क्योंकि वे बेहद नाजुक होते हैं. इनमें सोचने-समझने की क्षमता नहीं होती, इसलिए इस उम्र में बच्चों को 100 प्रतिशत स्पेशल केयरिंग की जरुरत होती है. हर समय घर के एक सदस्य को उनके साथ रहना ही चाहिए. पेरेंट्स या केयरटेकर को यह जज करना है कि बच्चों के लिए क्या सही है, क्या गलत? इस दौरान कई चीजें हैं, जो पेरेंट्स को कन्फ्यूज करती हैं. जैसे- शिशु को तकिया लगाएं या नहीं. इसका जवाब है बिल्कुल नहीं. वह इसलिए क्योंकि तकीए से उनके दम घुटने का खतरा होता है.अगर आपके घर में भी छोटा बच्चा है तो आपके लिए इनमें से कई चीजों का जानना बेहद जरूरी है, जो पेरेंटिंग में आपकी मदद करेंगी.
यदि आप छोटे बच्चे के सोते समय सिर के नीचे तकिया लगाते हैं तो यह गलत है. दरअसल, बच्चे का सिर सोते समय तकिया से नीचे खिसक जाता है. इससे गर्दन मुड़ने और सांस लेने का मार्ग बाधित होने का खतरा रहता है. अगर, ऐसा हुआ तो बच्चे ठीक से सांस नहीं ले पाते. वे उस वक्त खुद से पलट नहीं पाते. ऐसे में उनका दम घुटने लगता है. इसके साथ ही छोटे बच्चे कई बार तकिये में मुंह देकर सोने लगते हैं. इस दौरान वे खुद के द्वारा छोड़ी कार्बन डाइऑक्साइड में सांस लेते हैं. इससे भी दम घुटता है.
बिल्कुल, बच्चों को बिना तकिए के ही सोने दें. सामान्य बिस्तर में सोने से उनका शरीर एक जैसी स्थिति में होता है. यानी पैर से लेकर सिर तक का हिस्सा सामानंतर होता है.
बच्चे को कम से कम 5 साल की उम्र के बाद तकिया दें. साथ ही इसका इस्तेमाल सिखाएं. अगर, बच्चा तकिया लगाकर सोने के लिए कंफर्टेवल है तो ठीक, अगर नहीं तो तकिया लगाकर सोना जरूरी नहीं है. तकिया बिल्कुल सॉफ्ट होना चाहिए. हार्ड तकिया गर्दन को नुकसान पहुंचा सकता है.