जांजगीर/रायपुर, 27 मार्च 2025 –इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में आयोजित कृषक उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.) मेला सह प्रदर्शनी के दूसरे दिन प्रदेश के प्रमुख कृषि एवं सहकारी संगठनों के पदाधिकारियों ने किसानों के साथ मिलकर प्रदर्शनी का निरीक्षण किया।
इस अवसर पर प्रदेश कोषाध्यक्ष सहकार भारती श्री रामप्रकाश केशरवानी, प्रदेश संयोजक पैक्स प्रकोष्ठ श्री घनश्याम तिवारी एवं गणेशाराम साहू ने बिलासपुर, जांजगीर और सक्ति जिले के किसानों के साथ मिलकर विभिन्न स्टॉलों का भ्रमण किया और वहां प्रदर्शित कृषि उत्पादों की गुणवत्ता एवं उनके विपणन के तरीकों का जायजा लिया।
कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और किसानों की भागीदारी पर चर्चा
निरीक्षण के दौरान किसानों द्वारा प्रदर्शित जैविक एवं पारंपरिक कृषि उत्पादों को देखा गया, जिसमें सुगंधित चावल, लघु धान्य (मिलेट्स), जैविक दालें, तिलहन, मसाले, शहद, महुआ, गुड़, इमली, काजू, कच्ची घानी का तेल, हर्बल उत्पाद, अचार, पापड़, जैम, जेली और हर्बल साबुन आदि शामिल थे।
रामप्रकाश केशरवानी, घनश्याम तिवारी और गणेशाराम साहू ने इन उत्पादों की उच्च गुणवत्ता की सराहना की और किसानों से बातचीत कर उनके उत्पादन एवं विपणन से जुड़ी समस्याओं को समझा। उन्होंने किसानों को उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और बाजार में सीधी पहुंच के लिए जागरूक किया और सुझाव दिए कि वे सहकारी समितियों, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सरकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाएं।
किसानों को मिली व्यापारिक संभावनाओं की जानकारी
निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने किसानों को बताया कि सरकार द्वारा एफ.पी.ओ. को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने किसानों को वित्तीय सहायता, लोन, सब्सिडी और मार्केटिंग सपोर्ट जैसी योजनाओं की जानकारी दी और उन्हें प्रेरित किया कि वे आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाकर अपनी उपज का अधिकतम लाभ प्राप्त करें।
घनश्याम तिवारी ने कहा कि एफ.पी.ओ. के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों को संगठित किया जा रहा है, जिससे वे एकजुट होकर अपने उत्पादों को बाजार में बेहतर दामों पर बेच सकें। उन्होंने बताया कि इस मेले में कई व्यापारी, संस्थाएं और सरकारी अधिकारी भी शामिल हुए हैं, जो किसानों के उत्पादों की खरीद में रुचि दिखा रहे हैं।
किसानों ने साझा किए अनुभव
निरीक्षण के दौरान विभिन्न जिलों से आए किसानों ने अपनी खेती, उत्पादन और विपणन से जुड़े अनुभव साझा किए। किसानों ने बताया कि इस तरह के आयोजन उन्हें व्यापारिक अवसर प्रदान करने के साथ-साथ नए तकनीकी नवाचारों और सरकारी योजनाओं से भी अवगत कराते हैं।
एक किसान ने कहा, “पहले हम अपने उत्पादों को बेचने के लिए सिर्फ स्थानीय बाजारों पर निर्भर थे, लेकिन अब एफ.पी.ओ. के माध्यम से हमें सीधे बड़े बाजारों तक पहुंच मिल रही है। इससे हमें अपने उत्पादों के बेहतर दाम मिल रहे हैं और हमारा मुनाफा भी बढ़ा है।”
सरकार और कृषि विश्वविद्यालय की पहल
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों, जैविक खेती, जल संरक्षण, प्राकृतिक खादों के उपयोग और कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के उपायों पर विस्तृत जानकारी दी।
विशेषज्ञों ने बताया कि जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है, इसलिए किसानों को रसायन मुक्त खेती को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। साथ ही, कृषि उपज की पैकेजिंग, मूल्य संवर्धन (वैल्यू एडिशन) और ऑनलाइन बिक्री जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी चर्चा की गई।
तीन दिवसीय इस मेले में किसानों, कृषि वैज्ञानिकों, व्यापारियों और सरकारी अधिकारियों के बीच सार्थक संवाद और व्यावसायिक समझौतों की संभावनाएं बनीं। इस आयोजन से किसानों को आत्मनिर्भर बनाने, उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने और जैविक उत्पादों की महत्ता बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
रामप्रकाश केशरवानी, घनश्याम तिवारी और गणेशाराम साहू ने किसानों को आश्वासन दिया कि सरकार और सहकारी संगठन उनके हित में निरंतर कार्य करते रहेंगे, जिससे वे अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें और आर्थिक रूप से सशक्त बनें।
इस मेले ने कृषि क्षेत्र में नवाचार, व्यापारिक अवसर और किसानों की आय में वृद्धि की संभावनाओं को नई दिशा दी, जिससे भविष्य में इस तरह के आयोजनों की मांग और बढ़ेगी