भारत में भी हो चुका पेजर का इस्तेमाल, हिजबुल्लाह ने स्मार्टफोन की जगह इसे क्यों चुना?

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लेबनान में पेजर हमले ने पूरी दुनिया को हैरत में डाल रखा है। इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इन हमलों अंजाम दिया। स्मार्टफोन की जगह पेजर इस्तेमाल करने का फैसला हिजबुल्लाह पर भारी पड़ गया। हिजबुल्लाह को इन पेजरों की आपूर्ति ताइवान की गोल्ड अपोलो कंपनी ने किया था। मगर इनका निर्माण यूरोप की एक कंपनी ने किया था।

इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने लेबनान में एक साथ हजारों पेजर धमाकों से हिजबुल्लाह के होश उड़ा दिए हैं। इन हमलों में 11 की जान गई है और 4000 लड़ाके घायल हैं। दुनिया में पहली बार पेजर से धमाकों को अंजाम दिया गया है। मगर सवाल यह है कि स्मार्टफोन के युग में हिजबुल्लाह पेजर जैसे पुराने डिवाइस का इस्तेमाल क्यों कर रहा था?

हिजबुल्लाह ने इसी साल फरवरी में पेजर के लेटेस्ट मॉडल खरीदे थे। इन पेजर में पहला धमाका स्थानीय समय अनुसार शाम करीब पौने चार बजे हुआ। इसके बाद धमाकों का सिलसिला करीब एक घंटे तक जारी रहा। 1990 के दशक में मोबाइल आने से पहले पेजर का इस्तेमाल संचार के रूप में बेहद लोकप्रिय रहा है।

 

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