भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हरतालिका तीज मनाई जाती है, जो की आज है. इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रख देवों के देव भगवान भोलेनाथ की पूजा करती हैं. साथ ही भगवान से पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. इस व्रत की पूजा में विधि-विधान का खासा महत्व है. हरतालिका तीज के दिन कौन से तेल का दीया जलाना चाहिए और क्यों? इससे क्या लाभ मिलता है. आईए, इस आर्टिकल के जरिए यह सब जानते हैं. शास्त्रों में इस व्रत के दौरान आटे के दीये में सरसों का तेल डालकर लौ प्रज्वलित करने का विधान बताया गया है. सरसों के तेल का संबंध शनिदेव से होता है. वहीं, आटे के दीये का संबंध यमराज से. ऐसे में आटे के दीपक में सरसों का तेल डालकर दीया जलाने से शनिदेव की असीम कृपा होती है, सुहागिनों के पति यमराज की छाया से दूर रहते हैं. साथ ही शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि सुहागिन महिला द्वारा भगवान शिव के समक्ष हरतालिका तीज पर आटे का दीपक जलाने से ग्रह दोष से भी छुटकारा मिलता है.हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव के स्थान अलावा कुछ विशेष स्थानों पर भी आटे का दीपक जलाना चाहिए. इन स्थानों में प्रमुख रूप से घर का मुख्य द्वार, बरगद का पेड़ और तुलसी के पौधे के समीप. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा, दांपत्य जीवन का क्लेश और पति पर आया संकट दूर हो जाता है.
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