छत्तीसगढ़ की महिलाएं गोबर से पेंट बनाकर मल्टी नेशनल कंपनियों को दे रही टक्कर, जाने कैसे बनता है ये पेंट

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Women of Chhattisgarh are giving competition to multinational companies by making paint from cow dung, know how this paint is made

रायपुर। गांवों में लिपाई-पुताई के काम आने वाले गोबर से अब इमल्शन और डिस्टेंपर पेंट तैयार किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ की महिलाएं गोबर से पेंट बनाकर मल्टी नेशनल कंपनियों को टक्कर दे रही हैं। अब रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) की योजनाओं में गोबर से बने पेंट का उपयोग होगा। आरडीए के सरोना स्थित ईडब्ल्यूएस प्रोजेक्ट के फ्लैट में गोबर से बने पेंट से पुताई होगी। बुधवार को आरडीए की टीम ने प्रोजेक्ट का दौरा किया। दौरे में शामिल रायपुर पश्चिम विधायक विकास उपाध्याय, उपाध्यक्ष सूर्यमणि मिश्रा, शिव सिंह ठाकुर, संचालक मंडल के सदस्य राजेन्द्र पप्पू बंजारे, हीरेन्द्र देवांगन और चन्द्रवती साहू शामिल रहे। यहां आरडीए पदाधिकारियों ने स्थानीय निवासियों की समस्याएं सुनीं और इसके निराकरण के निर्देश दिए।

आरडीए अधिकारियों ने बताया कि इस योजना में प्राधिकरण ने किस्तों का भुगतान नहीं करने पर गत दिनों 23 फ्लैट का आवंटन निरस्त कर दिया था। निवासियों ने फ्लैट की किस्त दिए जाने पर पुन: आवंटन का अनुरोध किया गया। आरडीए के पदाधिकारिओं ने कहा कि संचालक मंडल की बैठक में इस मुद्दे को रखेंगे।

साफ-सफाई नहीं होने की शिकायत

दौरे के दौरान रहवासियों ने 300 फ्लैट की डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी आवास योजना में साफ-सफाई, नालियों और चैंबर की सफाई नहीं होने, नालियों में कचरा भरा होने, भवन की दीवारों में घास और झाड़ियां उगने, पानी टंकी टूटे होने, बाउंड्रीवाल निर्माण कराने तथा भवनों की रंगाई-पुताई कराने की बात कही। इस दौरान जनप्रतिनिधियों ने सफाई ठेकेदार को फटकार भी लगाई और कहा कि यदि शिकायतें बार बार आती रही तो सफाई का ठेका निरस्त कर दिया जाएगा। आरडीए के अधिकारियों ने बताया कि आवंटितियों द्वारा फ्लैट की किस्तों का भुगतान काफी समय से नहीं किया जा रहा है। लगभग 1.11 करोड़ रुपए की राशि आवंटितियों पर बकाया है।

इस तरह गोबर से पेंट होता है तैयार

सबसे पहले दो दिन तक पुराने गोबर को मिक्सिंग टैंक में डाला जाता है। उसमें बराबर मात्रा में पानी डाला जाता है। पानी डालने के बाद मिक्सिंग टैंक में एजिटेटर लगा होता है। यह एजिटेटर तब तक चलाते हैं जब तक गाय का गोबर बिल्कुल पेस्ट ना बन जाए। इसके बाद पेस्ट को पंप के माध्यम से आगे टीडीआर मशीन में भेजा जाता है। वहां बारीक पीसकर आगे ब्लीचिंग टैंक में भेजा जाता है। यहां इसे 100 डिग्री तक गर्म किया जाता है। इसके बाद इसमें हाइड्रोजन पराक्साइड एवं कास्टिक सोडा मिलाया जाता है, जिससे गोबर का रंग बदल जाता है व अशुद्धियां दूर हो जाती है। इसके बाद इसे अन्य सामग्रियों पिगमेंट, स्क्सटेंडर, ब्लाइंडर, फिलर के साथ मिलाकर हाई स्पीड डिस प्रेशर मशीन में 3 से 4 घंटे तक अलग अलग आरपीएम में मिलाया जाता है। इसके बाद प्राकृतिक पेंट बनकर तैयार हो जाता है।

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