दिल्ली ,महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर पीएम मोदी की आज पहली रैली है। प्रधानमंत्री धुले पहुंच गए हैं। थोड़ी देर में जनता को संबोधित करेंगे। पीएम की 2 बजे नासिक में भी जनसभा होगी। पीएम के अलावा अमित शाह की भी राज्य में चार रैलियां हैं।
महाराष्ट्र की 288 सीटों में एक फेज में 20 नवंबर को चुनाव होंगे। रिजल्ट 23 नवंबर को आएगा। भाजपा महायुति गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रही है। बीजेपी ने 148, शिंदे गुट ने 80, अजित गुट ने 53 उम्मीदवार उतारे हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव की तुलना में भाजपा इस बार कम सीटों पर लड़ रही हैं। भाजपा ने पिछली बार 164 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इस बार 16 उम्मीदवार कम उतारे हैं।
वहीं, शिवसेना-शिंदे ने 80, NCP-अजित ने 53 के लिए पार्टी में बगावत के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है। पिछले चुनाव में शिवसेना (अविभाजित) और NCP (अविभाजित) 124-124 सीटों पर लड़ी थीं। इन सबके अलावा इस बार महायुति ने 5 सीटें सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ी हैं।
मुख्यमंत्री के रूप में देखे जाने पर डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने करीब एक हफ्ते पहले कहा था कि लोग उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं तो यह समस्या नहीं है, समाधान है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे CM बनने जा रहा हैं।
महायुति को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि एकनाथ शिंदे मौजूदा मुख्यमंत्री हैं। चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसकी घोषणा की जाएगी। शिवसेना प्रमुख CM एकनाथ शिंदे, NCP प्रमुख अजीत पवार और भाजपा का संसदीय बोर्ड तय करेगा कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा।
महायुति भ्रमित नहीं हैं, समस्या महाविकास अघाड़ी (MVA) में है। चेहरे का सवाल उनके लिए है, महायुति के लिए नहीं। MVA मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा नहीं कर रहा है क्योंकि वे जानते हैं कि चुनाव के बाद उनका CM आ सकता है।
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से INDIA गठबंधन को 30 और NDA को 17 सीटें मिलीं।। इनमें भाजपा को 9, शिवसेना को 7 और NCP को सिर्फ 1 सीट मिली थी। भाजपा को 23 सीटों का नुकसान हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव से NDA को 41 जबकि 2014 में 42 सीटें मिली थीं।
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी अगर लोकसभा चुनाव जैसा ट्रेंड रहा तो भाजपा को नुकसान होगा। भाजपा 60 सीटों के आसपास सिमटकर रह जाएगी। वहीं, विपक्षी गठबंधन के सर्वे में MVA को 160 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। भाजपा के लिए मराठा आंदोलन सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा शिवसेना और NCP में तोड़फोड़ के बाद उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ लोगों की सिम्पैथी है।