कलेक्टर से शिकायत होने के बाद भी क्यों नहीं हो रही कार्रवाई? दस्तावेजीय प्रमाण लेकिन कार्यवाई शून्य….

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कलेक्टर से शिकायत होने के बाद भी क्यों नहीं हो रही कार्रवाई? दस्तावेजीय प्रमाण लेकिन कार्यवाई शून्य….

रायपुर – छत्तीसगढ़ के नवगठित जिला सक्ती में धान खरीदी बिक्री फर्जीवाड़ा मामले की शिकायत हुए 20 दिन बीत गए लेकिन कार्यवाई की शुरुवात अब तक नहीं हो पाई है। शिकायतकर्ता ने कलेक्टर के समक्ष किए गए शिकायत पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है , वही कार्रवाई नहीं होने से दोबारा इस तरह के मामले की पुनरावृत्ति होने की भी बात कही है।

क्या है पूरा मामला….

शिकायतकर्ता ने कलेक्टर को लिखित शिकायत करते हुए निवेदन किया है कि सक्ती तहसील, जिला सहकारी केंद्रीय मर्यादित बैंक मर्यादित शाखा – सक्ती, जिला – सक्ती अंतर्गत प्राथमिक कृषि साख सेवा सहकारी समिति मर्यादित पंजीयन क्रमांक 1065 में ग्राम जगदल्ली निवासी श्री देव सिंह गबेल पिता रूप राम के द्वारा समर्थन मूल्य पर धान विक्रय करने भूमि पंजीयन कराया था जिसमें उनके द्वारा ग्राम जगदल्ली पटवारी हल्का नंबर 00012, खसरा नंबर 12 कुल रकबा 0.749 हेक्टेयर (1.872 एकड़) एवं खसरा नंबर 13/1कुल रकबा .186 हेक्टेयर (.46 एकड़) का भी पंजीयन कराया गया है।

शिकायतकर्ता ने पत्र के माध्यम से अवगत कराया है कि देव सिंह द्वारा समर्थन मूल्य पर धान विक्रय करने हेतु कराया गया खसरा नंबर 12 एवं 13/1 की भूमि उनके परिवार के नाम पर संयुक्त खाते में दर्ज है। लेकिन उक्त खसरा नंबर की भूमि को चूना पत्थर खदान संचालित करने के लिए कई वर्ष पूर्व जितेंद्र कुमार गबेल को दिया गया है जिसका संचालन राम कुमार गबेल द्वारा कई वर्षों से निरंतर किया जा रहा है और वर्तमान समय में भी उक्त खदान से खनिज का खनन जारी है जिसकी पुष्टि खनिज विभाग के अलावा राजस्व विभाग से भी की जा सकती है। ऐसे में उक्त खसरा नंबर की भूमि पर कृषि कार्य किया जाना संभव ही नहीं है।

इसके अलावा अचरज वाली बात यह भी है कि जिस खसरा नंबर की भूमि में चूना पत्थर खदान संचालित है ऐसे भूमि की गिरदावरी हल्का पटवारी द्वारा किस आधार पर किया गया, यह भी अपने आप में एक सवाल है। यही नहीं इस पूरे मामले में हल्का पटवारी की संलिप्तता भी होने की संभावना नजर आ रही है। देव सिंह द्वारा किया गया कृत्य समझकर और जानकर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने की मंशा से किया गया गंभीर अपराध है जो की आईपीसी की धारा 420, 120 बी का अपराध है।

उन्होंने कलेक्टर से निवेदन किया है कि उसके द्वारा दिए गए शिकायतापत्र को संज्ञान में लेते हुए देव सिंह पिता रूपराम के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करे और इस पूरे षड्यंत्र में शामिल अन्य दोषियों के खिलाफ भी कार्रवाई करते हुए देव सिंह द्वारा शासन को अब तक कुल रूप से पहुंचाई गई क्षति राशि की भी वसूल किए जाने की कार्रवाई करने मांग किया है।

हालांकि शिकायत को 20 दिन बीत गए हैं लेकिन अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई की जानकारी शिकायतकर्ता को जिला प्रशासन से उपलब्ध नहीं कराई गई है।शिकायतकर्ता ने यह भी कहा है कि अगर इस मामले में जिला प्रशासन कार्रवाई नहीं करती है तो कार्यवाई को लेकर जल्द ही कोर्ट की शरण भी ले सकता है।

क्या इस बार भी किया गया पंजीयन?

छत्तीसगढ़ प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए सभी जिले में खरीदी वर्ष 2023-24 के लिए किसानों का पंजीयन किया जा रहा है जिसमें नॉमिनी का नाम दर्ज कराना अनिवार्य हो गया है, वही बायोमैट्रिक पंजीयन भी की जारी है। शिकायतकर्ता का कहना है कि यदि देव सिंह द्वारा इस वर्ष भी धान बिक्री करने के लिए उक्त खसरा नंबर 12 एवम् 13/1 का पंजीयन कराया जाता है तो इसे सीधे रूप में प्रशासन का संरक्षण माना जाएगा। और यदि पंजीयन नहीं कराता है तो स्पष्ट होता है कि उनके द्वारा पूर्व में जो पंजीयन कराया जा रहा था वह फर्जी था।

दस्तावेजीय प्रमाण के बाद भी कार्यवाई नहीं…

शिकायतकर्ता का कहना है कि उनके द्वारा किए गए शिकायत पत्र की गंभीरता से जांच की जाए तो स्वतः ही मामले की सच्चाई सामने आ सकती है क्योंकि उनके द्वारा जो शिकायत किया गया है उनके दस्तावेज ही अपने आप में लगाए गए आरोपों को प्रमाणित करता है। ऐसे में भी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा कार्रवाई नहीं करना भी कई सारे सवालों को जन्म दे रहा है।

अब देखना होगा कि इस मामले पर कलेक्टर द्वारा आगे क्या कार्रवाई की जाती है।

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