अक्षय तृतीया को क्यों माना जाता है खास, आइए जानें

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अक्षय तृतीया को क्यों माना जाता है खास, आइए जानें

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया बोला जाता है। अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया का दिन धन की देवी माता लक्ष्मी का दिन होता है। वही इस वर्ष अक्षय तृतीया का त्यौहार 22 अप्रैल, शनिवार को मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को प्रातः 07 बजकर 49 मिनट से आरम्भ होकर 23 अप्रैल प्रातः 07 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। किसी भी मांगलिक कार्य के लिए अक्षय तृतीया का दिन बहुत अच्छा माना जाता है।

जानिए अक्षय तृतीया से जुड़ी 10 बातें:-

1- नया वाहन लेना या गृह प्रवेश करना, आभूषण खरीदना इत्यादि जैसे कार्यों के लिए तो लोग इस तिथि का खास इस्तेमाल करते हैं। मान्यता है कि यह दिन सभी का जीवन में अच्छे भाग्य और कामयाबी को लाता है। इसलिए लोग जमीन जायदाद संबंधी कार्य, शेयर मार्केट में निवेश रीयल एस्टेट के सौदे या कोई नया बिजनेस शुरू करने जैसे काम भी लोग इसी दिन करने की चाह रखते हैं।

2- अक्षय तृतीया के विषय में मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमें बरकत होती है। मतलब इस दिन जो भी अच्छा काम करेंगे उसका फल कभी समाप्त नहीं होगा यदि कोई बुरा काम करेंगे तो उस काम का नतीजा भी कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ेगा।

3- धरती पर देवताओं ने 24 रूपों में अवतार लिया था। इनमें छठा अवतार भगवान परशुराम का था। पुराणों में उनका जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था।

4- इस दिन प्रभु श्री विष्णु के चरणों से धरती पर गंगा अवतरित हुई। सतयुग, द्वापर व त्रेतायुग के प्रारंभ की गणना इस दिन से होती है।

5- शास्त्रों की इस मान्यता को वर्तमान में व्यापारिक रूप दे दिया गया है जिसकी वजह से अक्षय तृतीया के मूल उद्देश्य से हटकर लोग खरीदारी में लगे रहते हैं। वास्तव में यह वस्तु खरीदने का दिन नहीं है। वस्तु की खरीदारी में आपका संचित धन खर्च होता है।

6- ‘न माधव समो मासो न कृतेन युगं समम्। न च वेद समं शास्त्रं न तीर्थ गंगयां समम्।।’
वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं हैं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है तथा गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। उसी प्रकार अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है।

7- वैशाख मास की विशिष्टता इसमें आने वाली अक्षय तृतीया की वजह से अक्षुण्ण हो जाती है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाए जाने वाले इस पर्व का उल्लेख विष्णु धर्म सूत्र, मत्स्य पुराण, नारदीय पुराण तथा भविष्य पुराण आदि में मिलता है।

8- यह वक़्त अपनी योग्यता को निखारने एवं अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तम है।

9- यह मुहूर्त अपने कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। शायद यही मुख्य वजहण है कि इस काल को ‘दान’ इत्यादि के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

10- ‘वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आखातीज के तौर पर मनाया जाता है भारतीय जनमानस में यह अक्षय तीज के नाम से लोकप्रिय है।

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