भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा मजार के सामने जाकर क्यों रूक जाती है?

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भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा  मजार के सामने जाकर क्यों रूक जाती है?

देशभर में आज जगन्नाथ रथ यात्रा का पर्व धूम धाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर देशभर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली जा रही है। साथ ही देश के कई राज्यों में धूमधाम से रथ यात्रा निकाली जा रही है। रथ यात्रा के अवसर पर पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर से भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है, जिसके लिए कई महीने पहले से तैयारी शुरू हो जाती है। वहीं, अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल जगन्नाथ रथ यत्रा में शामिल होने के लिए करीब 25 लाख श्रद्धालु पुरी पहुंचेंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान जगन्नाथ की यात्रा पुरी के मजार के सामने जाकर खुद ब खुद रूक जाती है। नहीं पता था आपको से रहस्य?

आपको बताते हैं क्यों मजार के सामने जाकर थम जाते हैं रथ के पहिए?

मिली जानकारी के अनुसार भगवान का रथ नगर भ्रमण के लिए निकलता है तो उसके पहिए शहर के एक मजार के सामने आकर रुक जाते हैं। इसके पीछे भी एक कहानी बेहद प्रचलित है। बताया जाता है कि सालबेग नाम का एक मुस्लिम शख्स भगवान जगन्नाथ का अनन्य भक्त था। कहा जाता है कि एक दिन भगवान जगन्नाथ ने सालबेग नाम को दर्शन दिए, जिसके बाद उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए थे। इस घटना के बाद जब जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा निकाली जा रही थी तभी नगर भ्रमण के दौरान रथ का पहिया अचानक मजार के सामने आकर रुक गया।

इस दौरान रथ यात्रा में मौजूद हजारों-लाखों लोगों की भीड़ ने भगवान जगन्नाथ से उनके अनन्य भक्त सालबेग की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की, उसके बाद ही रथ नगर भ्रमण के लिए आगे बढ़ा। तब से यह परंपरा आज तक चली आ रही है। हर साल जब भी पुरी में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं तो सालबेग की मजार के सामने उनका रथ थोड़ी देर के लिए जरूर रोका जाता है।

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