कसडोल विधानसभा क्षेत्र में किसकी लहर? किसके सर पर सजेगा विजयी सेहरा?

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कसडोल विधानसभा क्षेत्र में किसकी लहर? किसके सर पर सजेगा विजयी सेहरा?

रायपुर – छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार भी सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा का ही दिख रहा है। आप, बसपा और जनता कांग्रेस सरकार बनाने दूर – दूर तक नजर नहीं आ रही है। इस बार फिर कांग्रेस सरकार बनाने पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में है, वहीं भाजपा भी दोबारा वापसी को लेकर संघर्ष कर रही है। दोनों ही अपनी – अपनी पार्टियों को जिताने में लगी हुई है।

इसी बीच बड़ी खबर यह भी आ रही है कि छत्तीसगढ़ के कसडोल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्यासी संदीप साहू के समर्थन में लोगों का रुझान सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। संदीप साहू के साथ कांग्रेस पार्टी के सभी कार्यकर्ता लगातार जनसंपर्क में जुटे हुए हैं और सीधे जनता से मुलाकात कर रहे हैं और उनके बीच जाकर क्षेत्र के विकास को लेकर लोगों को भरोसा भी दिला रहे हैं।

सबसे बड़ी बात पार्टी कार्यकर्ताओं में किसी प्रकार की गुटबाजी नजर नहीं आ रही है। इसके अलावा इस बार के घोषणा पत्र में किए गए वादे को भी जनता तक पहुंचा रहे है। क्षेत्र की जनता भी उन्हें जीत का भरोसा दिला रही है और यह भी कह रहे हैं कि इस बार 50 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज होगी।

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वर्ष 2018 के चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी शकुंतला साहू ने रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज करते हुए लगभग 48400 वोटों से भाजपा प्रत्याशी को हराया था। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बार भी जीत को बरकरार रखते हुए रिकॉर्ड तोड़ मतों से विजयी होंगे।

भाजपा प्रत्याशी भी अपनी जीत को सुनिश्चित करने लगातार क्षेत्र के दौरे पर है। जनता के बीच जाकर पार्टी द्वारा इस बार किए गए चुनावी घोषणा को जनसंपर्क के दौरान लोगों के बीच रख रहे हैं और अपने पक्ष में वोट मांग रहे हैं।

कसडोल विधानसभा में कांग्रेस से संदीप साहू और भाजपा से धनीराम धीवर को मैदान पर उतारा है। दोनों ही पार्टियों ने इस बार नए चेहरे पर भरोसा जताया है, ऐसे में चुनाव भी बड़ा दिलचस्प हो चुका है। चूंकि कसडोल विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है, ऐसे में कांग्रेस पार्टी के जीतने की संभावना सबसे ज्यादा लग रही है। हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद ही जीत का सेहरा जितने वाले के सर पर बंधेगा।

प्रदेश में 15 साल से सरकार पर रही भाजपा वापसी को लेकर जी तोड़ मेहनत कर रही है। भाजपा द्वारा किए गए चुनावी घोषणा में इस बार किसानों को महत्व दिया गया है लेकिन ऋण माफी को लेकर किसी भी प्रकार की कोई घोषणा नहीं की है।

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस बार भी किसानों के ऋण माफी को लेकर बड़ी घोषणा की है। ऐसे में किसानों के वोट कांग्रेस की ओर ज्यादा झुकाव बनाए हुए हैं। इसके अलावा 200 यूनिट तक बिजली बिल माफ करने और 3200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का वादा कर रही है।

छत्तीसगढ़ में ऋण माफी एक मुख्य मुद्दा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि 2018 के चुनाव में ऋण माफी के कारण ही 15 साल सरकार में रहे भाजपा को अपनी सरकार गवानी पड़ी थी। प्रदेश में किसान लगातार बोनस की मांग को लेकर सरकार के पास अपनी बातों को पहुंचाते रहे लेकिन उन्हें 2 साल का बोनस भी नहीं दिया गया।

नतीजा चुनाव परिणाम को ही बदल दिया और ताबड़तोड़ जीत के साथ कांग्रेस पार्टी ने अपनी सरकार बनाई थी। इस बार भी ऋण माफी किसानों को प्रभावित कर रही है। माना जा रहा है कि इस बार भी कांग्रेस दोबारा सत्ता में आ सकती है। हालांकि भाजपा भी दोबारा वापसी को लेकर डटी हुई है। लेकिन लोकतंत्र है जिसमें जनता का जनादेश ही सरकार बनाने को लेकर तय करेगी।

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