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नई दिल्ली। महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा गर्भाशय कैंसर (Uterine Cancer) स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसे एंडोमेट्रियल कैंसर या बच्चेदानी का कैंसर भी कहा जाता है। यह कैंसर गर्भाशय में विकसित होता है और मुख्य रूप से दो प्रमुख प्रकारों— एंडोमेट्रियल कैंसर और गर्भाशय सार्कोमा —में विभाजित है।
एंडोमेट्रियल कैंसर – 90% से अधिक मामले
सबसे अधिक पाए जाने वाले एंडोमेट्रियल कैंसर के कई उपप्रकार हैं।
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एंडोमेट्रियोइड एडेनोकार्सिनोमा: सबसे सामान्य और उपचार की अधिक संभावना वाला प्रकार
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सीरस एडेनोकार्सिनोमा: अत्यधिक आक्रामक और तेजी से फैलने वाला
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एडेनोस्क्वैमस कार्सिनोमा
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कार्सिनोसार्कोमा: कार्सिनोमा और सार्कोमा दोनों के गुणों वाला मिश्रित ट्यूमर
गर्भाशय सार्कोमा – दुर्लभ लेकिन गंभीर
कुल मामलों में बेहद कम पाए जाने वाले गर्भाशय सार्कोमा के प्रकारों में—
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लियोमायोसार्कोमा: गर्भाशय की मांसपेशी दीवार से उत्पन्न, लगभग 2% मामले
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एंडोमेट्रियल स्ट्रोमल सार्कोमा: समर्थन ऊतकों से उत्पन्न, 1% से भी कम मामले
विशेषज्ञों के अनुसार, सार्कोमा आमतौर पर अधिक आक्रामक होता है और जल्दी फैल सकता है, इसलिए समय पर पहचान बेहद महत्वपूर्ण है।
सबसे सामान्य लक्षण – असामान्य योनि रक्तस्राव
डॉक्टरों का कहना है कि गर्भाशय कैंसर का सबसे बड़ा और शुरुआती संकेत है—
मेनोंपॉज़ के बाद अचानक होने वाला रक्तस्राव।
इसके अलावा:
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अत्यधिक या अनियमित माहवारी
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पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग
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पानी जैसा या बदबूदार स्राव
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पेल्विक दर्द या भारीपन
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संभोग के दौरान दर्द
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बिना वजह वजन घटना
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बार-बार पेशाब लगना या मल त्याग में बदलाव
इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ करना आगे चलकर बीमारी को गंभीर बना सकता है।
समय पर जांच और उपचार से बढ़ती सफलता
गायनोकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि शुरुआती स्टेज में पहचान होने पर उपचार की सफलता दर काफी अधिक है।
नियमित स्वास्थ्य जांच, अल्ट्रासाउंड, एंडोमेट्रियल बायोप्सी और आवश्यक परीक्षणों से बीमारी की पुष्टि की जा सकती है।

