Friday, February 7, 2025

ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर केस सुप्रीम कोर्ट का प.बंगाल से बाहर केस ट्रांसफर करने से इनकार

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने CBI की अपडेटेड स्टेटस रिपोर्ट को लेकर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने मामले की सुनवाई किसी और राज्य में ट्रांसफर करने से भी इनकार कर दिया है।

डॉक्टरों की सुरक्षा से जुड़ी याचिका पर एक वकील ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने नेशनल टास्क फोर्स (NTF) की रिपोर्ट दाखिल कर दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो NTF की रिपोर्ट की कॉपी केस से जुड़े सभी वकीलों, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे।

इसके बाद सभी याचिकाकर्ता और राज्यों के चीफ सेक्रेटरी इस पर अपने सुझाव दें। इसके लिए कोर्ट ने तीन हफ्ते का समय दिया है।

इससे पहले 4 नवंबर को पश्चिम बंगाल की सियालदह कोर्ट ने रेप और और मर्डर के मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे। 11 नवंबर से मुकदमे की रोजाना सुनवाई होगी।

विरोध प्रदर्शन करने वाले डॉक्टरों की लीव अब तक नहीं लगाई गई है।

CJI: AIIMS के डायरेक्टर से मिलें और उन्हें दया दिखाने को कहें क्योंकि अब डॉक्टर ड्यूटी पर लौट आए हैं।

वकील: इन्वेस्टिगेशन 90 दिन से चल रहा है और अब तक कुछ नहीं हुआ है।

CJI: ट्रायल जज के पास पूरी शक्ति है कि अगर उनके सामने नए सबूत आते हैं और उन्हें जरूरी लगता है तो वे दूसरी इन्वेस्टिगेशन शुरू कर सकते हैं।

वकील: इस केस से जुड़ीं डिस्टर्बिंग बातों को देखते हुए इस केस को पश्चिम बंगाल से बाहर शिफ्ट कर सकते हैं…

CJI: हम जानते हैं… हमने मणिपुर के भी कुछ मामलों की सुनवाई दूसरे राज्यों में शिफ्ट की थी।

हालांकि CBI वित्तीय अनियमितताओं और अन्य मुद्दों की जांच कर रही है। केस को दूसरे राज्य शिफ्ट नहीं किया जाएगा।

NTF ने दो श्रेणियों में सिफारिशें तैयार की हैं। पहला- शारीरिक हिंसा की रोकथाम और दूसरा- मेडिकल प्रोफ्रेशनल्स के खिलाफ यौन हिंसा की रोकथाम। इससे पहले 15 अक्टूबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स (NTF) की वर्किंग को लेकर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने NTF को 3 हफ्ते के अंदर डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर अपने सुझाव देने के निर्देश दिए थे।

CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा था कि NTF को डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रोटोकॉल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन ये बहुत धीमी गति से काम कर रहा है। कोर्ट ने कहा था कि NTF की पहली बैठक 27 अगस्त को हुई थी। हैरानी की बात है कि 9 सितंबर के बाद से कोई बैठक नहीं हुई। कोई प्रोग्रेस क्यों नहीं हुई? इस टास्क फोर्स को अपने काम में तेजी लानी होगी।

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