त्यौहार सीजन में शहर में हजारों क्विंटल मिठाइयों की होती है खपत

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त्यौहार सीजन में शहर में हजारों क्विंटल मिठाइयों की होती है खपत

मिलावटी मिठाइयों की अभी जांच नहीं दुकानों में काउंटर पर सजाकर धड़ल्ले से कर रहे कारोबार

अनदेखी : त्योहारी सीजन आने पर ही होती है खाद्य पदार्थों की जांच

खाद्य सामग्रियों में मिलावट का खेल शुरू, नींद में अधिकारी

सूरजपुर । हर त्योहार में खाद्य सामग्रियों की बिक्री बढ़ जाती है। सबसे अधिक खाद्य सामग्रियों में ही मिलावट का खेल कुछ मिलावट खोरों के द्वारा किया जाता है। सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे ऐसे मिलावटखोरों पर विभाग द्वारा भी कार्रवाई नहीं की जाती। नतीजन आम जनता कम रेट में घटिया खाद्य सामान लेकर मिलावट खोर के शिकार होते हैं। इसका असर उनकी सेहत पर पड़ता है। आगामी दिनों में दीपावली का त्योहार है। इसमें कई प्रकार की मिठाइयां व खाद्य सामग्री जगह जगह खुले में बेचते भी देखे जा सकेंगे। इसकी तैयारी अभी मिलावट खोर करने लगे हैं। लेकिन, खाद्य औषधि विभाग द्वारा समय पर जांच न करने, कार्रवाई को लेकर गंभीरता न दिखाने से मिलावट का खेल जोरों से चल रहा है।

तीज-त्योहार आते ही मिलावट खोरों की चांदी हो जाती है। सभी त्योहारों में खरीदारी भी खूब होती है। गरीब से लेकर अमीर तक सभी त्योहार मनाने क्षमता अनुसार राशन सामग्री व मिठाइयां खरीदते हैं, लेकिन खाद्य सामग्रियों में मिलावट कर लोगों को कम रुपए में सामग्रियां खुले आम सड़क किनारे कई स्थानों पर ठेला में दुकानों में, स्टॉल लगाकर बेचे जाते हैं। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार भी पूर्व की तरह दीपावली के पूर्व घटिया सामग्री बेचने का कार्य शुरू हो गया है और कुछ समय पश्चात मिठाइयों में भी मिलावट का खेल शुरू हो जाएगा। लेकिन, इन सब में लगाम कसने खाद्य विभाग द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। इसके चलते बेधड़क बिना रोक-टोक गली कूचे मोहल्लों व सड़क किनारे खुले आम यह मिलावटखोर अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं।

लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे लोगों को खाद्य सामग्रियों की ओर आकर्षित करने व खाद्य सामग्रियों को आकर्षक बनाने कई तरह के केमिकल का उपयोग होता है, जो स्वास्थ्य के लिए जहरीला साबित होता है। यह भी बात निकल कर सामने आ रही है कि नियमित भोजन में शामिल दाल में कलर मिलाया जाता है। इसके चलते वह चमकीला हो जाता है जिसे पानी में धोने से कलर छुटने पर मिलावट होने की पुष्टि होती है। इसके अलावा गुड़ में भी मिलावट देखने को मिलता है, इसमें फफुंद नहीं लगता, लेकिन घटिया सामान मिलाकर बनाएं गुड़ में फफूंद देखा जा सकता है। इतना ही नही नियमानुसार खाने के डिब्बो पर तिथि अंकित करना जरूरी है पर यहां शायद ही किसी फूड पैकेट पर तिथि अंकित मिले पर इस पर भी विभाग खामोश रहता है।

कार्रवाई के नाम पर होती है सिर्फ खानापूर्ति

लोगों को आकर्षित करने अच्छे रेट में बेचने यह खेल मिलावट खोर जमाने से कर रहे हैं, लेकिन कार्रवाई ना होने के कारण उनका कार्य निरंतर जारी है। इस तरह ड्राई फूड, मिठाईयां, वहीं होटलों में मिलने वाले कई तरह के खाद्य सामग्रियों में मिलावटी देखा जा सकता है। जिसे खाने से स्वाद में बदलाव व समय पहले ही खराब हो जाते हैं। खाद्य विभाग द्वारा भी केवल त्योहारी सीजन में ही सैंपल लिए जाते हैं। सैंपल की रिपोर्ट आने तक लोग खाद्य पदार्थों का सेवन भी कर चुके होते हैं। रिपोर्ट अमानक आने पर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति होती है।

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