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लखनऊ, 31 जुलाई 2025 – मालेगांव बम धमाके मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। 17 वर्षों से चले आ रहे इस चर्चित मामले में कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा।
धर्मगुरुओं की प्रतिक्रिया : भगवा को दी गई बदनाम छवि का अंत
कोर्ट के इस फैसले का देशभर के संत-महंतों और धर्मगुरुओं ने स्वागत किया है। अखिल भारतीय उदासीन संप्रदायिक संगत, चौक लखनऊ के सभापति महंत धर्मेश दास ने कहा कि – “इस फैसले ने भगवा को आतंकवाद से जोड़ने वालों के मुंह पर ताला लगा दिया है। भगवा रंग राष्ट्रीय एकता और आध्यात्म का प्रतीक है, इसे आतंकी गतिविधियों से जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण था। साध्वी प्रज्ञा को 17 वर्षों तक प्रताड़ित किया गया, अब उनके साथ हुए अन्याय की जांच होनी चाहिए।”
‘कोर्ट ने दिया न्याय, सबूतों के आधार पर लिया फैसला’
लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने कहा – “यह फैसला बताता है कि न्यायपालिका धर्म, जाति या विचारधारा के आधार पर नहीं, बल्कि सबूतों पर फैसला करती है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।”
कोर्ट ने क्या कहा?
मुंबई से लगभग 200 किमी दूर मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास खड़ी मोटरसाइकिल में बम धमाका हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत और करीब 95 लोग घायल हुए थे। अदालत ने कहा कि – “धमाका तो हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हो सका कि बम उसी बाइक में रखा गया था।”
अदालत ने यूएपीए, आर्म्स एक्ट और आईपीसी की तमाम धाराओं से सभी आरोपियों को मुक्त कर दिया।
साध्वी प्रज्ञा की प्रतिक्रिया
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अदालत से बरी होने के बाद कहा – “मुझे आतंकवादी बना दिया गया, जबकि मैंने सिर्फ भारत माता की सेवा की। मैंने 17 साल मानसिक और शारीरिक यातनाएं झेली हैं, अब न्याय मिला है।”