दो लाख टन धान पर चूहों और दिमको का खतरा, DMO को संघ ने लिखा पत्र, 125 उपार्जन केंद्र प्रभारियों की है पीड़ा? मिलरों को आखिर किसका है संरक्षण?

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दो लाख टन धान पर चूहों और दिमको का खतरा, DMO को संघ ने लिखा पत्र, 125 उपार्जन केंद्र प्रभारियों की है पीड़ा? मिलरों को आखिर किसका है संरक्षण?

रायपुर – छत्तीसगढ़ राज्य के सभी जिलों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य पूर्ण हो चुका है। सभी जिले के खरीदी केंद्रों में पंजीकृत लगभग सभी किसानों के द्वारा समय सीमा पर धान विक्रय भी कर दिए गए। शासन द्वारा किसानों को धान के बदले मिलने वाली राशि का भी अंतरण लगभग हो चुका है और प्रक्रियाधीन है।

लेकिन इस कार्य को मैदानी स्तर पर पूर्ण करने वाले समिति और प्रभारियों की चिंता कोई नहीं कर रहा है। इन दिनों सबसे बड़ी समस्या धान खरीदी केंद्र को शासन के निर्देश पर संचालित करने वाले खरीदी केंद्र प्रभारियों को होने लगी है जिसके बानगी भी देखने को मिल रही है। ताजा मामला छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले का है जहां 125 उपार्जन केंद्र जिले भर में संचालित है। सभी उपार्जन केंद्र को मिलाकर इस वर्ष लगभग 517475.64 टन धान की खरीदी हुई है जिसमें से अब भी सभी उपार्जन केन्द्रों को मिलाकर लगभग 2 लाख टन धान जमा रखा हुआ है जिसके समय पर उठाव नही होने के कारण धान के सूखने, खराब होने और असामयिक बारिश से सड़ने का डर खरीदी प्रभारियों को सताने लगा है।

धान के उठाव में हो रही लेट लतीफी को लेकर गंभीरता नहीं दिखाने के कारण उनकी समस्याएं दिन ब दिन बढ़ती नजर आ रही है। इस समस्या को लेकर सहकारी समिति कर्मचारी संघ जिला सक्ती के द्वारा जिला विपणन अधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए जल्द ही उठाओ कराने की मांग की है, साथ ही खरीदी वर्ष 2022 – 23 की धान खरीदी प्रोत्साहन राशि को दिलाने की भी मांग इस पत्र के माध्यम से किया है।

सहकारी समिति कर्मचारी संघ द्वारा डीएमओ को दिए गए पत्र में लिखा गया है कि विपणन वर्ष 2023 – 24 में धान खरीदी का कार्य पूर्ण हो चुका है। सक्ती जिले के कुल 125 उपार्जन केंद्रों में लगभग 517475.64 टन धान खरीदी हुई है, जिसमें अभी भी उपार्जन केंद्रों में लगभग दो लाख टन धान जाम है। जिले के अधिकांश उपार्जन केंद्रों में धान उठाव हेतु 09/ 01 / 2024 के बाद कोई भी डीओ जारी नहीं किया गया है एवं जिस केंद्र में एक माह पूर्व डीओ जारी हुआ है उनका धान उठाव मिलरो द्वारा नहीं किया गया है।

खरीदी केंद्रों में चूहों एवं दीमकों से धान एवं धान से भरे बरदाने को नुकसान हो रहा है, जबकि धान खरीदी के 72 घंटे के अंदर धान उठाओ का प्रावधान है। ऐसे में अगर शीघ्र उठाओ नहीं कराया जाता है तो धान में सुखद आना लाजमी है जिससे जिले में जीरो शार्ट का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है। इसलिए धान उठाओ की कार्रवाई को शीघ्र बढ़ाया जाए नहीं तो किसी भी प्रकार की क्षति व कमी के लिए प्रभारी और समिति कर्मचारियों को जिम्मेदार न मान जावे।

इसके अलावा खरीदी विपणन वर्ष 2022/23 की धान खरीदी की धान खरीदी प्रोत्साहन राशि अभी तक समितियों को अप्राप्त है जिसे शीघ्र समिति के खातों में समायोजन करने का भी मांग किया है। उक्त दोनों मांग एक सप्ताह के भीतर पूर्ण नहीं होने पर सभी समिति कर्मचारी एवं धान खरीदी के समस्त कर्मचारी अवकाश लेकर दिनांक 13/02/ 2024 को जिला विपणन कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन करेंगे जिसकी संपूर्ण जानकारी शासन – प्रशासन की होगी।

मिलरों को मिल रहा खुला संरक्षण?

संघ का कहना है कि अधिकांश मिलर को डीओ जारी करने के बाद भी संबंधित खरीदी केंद्र से धान का उठाव नहीं किया जा रहा है, जबकि विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि डीओ जारी होने के बाद 9 दिन के भीतर धान का उठाव करना है और समय सीमा पर 9 दिन के भीतर धान का उठाव नहीं किया जाता है तो उक्त मिलरों पर पेनल्टी की कार्रवाई की जानी है और अल्टीमेटम देते हुए उठाव कार्य को कराना भी है। लेकिन यहां ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है क्योंकि 9 जनवरी को जारी हुए डीओ पर मिलरों द्वारा धान का उठाव नहीं किया जा रहा है। ऐसे में भी मिलर के ऊपर करवाई नहीं की जा रही है जो की जिम्मेदार अधिकारियों की उनकी मनमानी पर मौन स्वीकृति को दर्शाता है।

72 घंटे के उठाव को लेकर जिम्मेदार कौन और क्या उन पर होगी कार्यवाई?

धान खरीदी के 72 घंटे के भीतर उठाव को लेकर विपणन विभाग द्वारा नियम एवं निर्देश जरूर जारी कर दी गई है लेकिन इस नियम निर्देश का पालन जमीनी स्तर पर कही भी होता नजर नहीं आ रहा है। आखिरकार इस नियम का पालन कराने के लिए विभाग द्वारा किसे जिम्मेदारी सौंपी गई है? और क्या ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों के ऊपर विभाग कार्रवाई करेगी या नहीं यह भी सवालों पर है?

सुखत की भरपाई के लिए जिम्मेदार कौन?

एक नवंबर को धान खरीदी शुरू होते ही किसानों द्वारा खरीदी केंद्रों में धान को विक्रय के लिए लाने का सिलसिला जारी हो जाता है। खरीदी के समय विभाग द्वारा मंडियों में आने वाले धान की आद्रता की जांच कराई जाती है जिसके लिए 13 से 17 प्रतिशत नमी वाले धानों को लेने का प्रावधान है। लेकिन उठाओ में देरी होने के कारण बाहर बारदाने में रखे धान की आद्रता में कमी आती है जिसे एक तरह से सुखत माना जाता है और इस तरह सुखत होने के कारण प्रत्येक बोर में लिए गए मात्रा में भी कमी होने की संभावना रहती है। ऐसे में खरीदी की गई धान की मात्रा में कमी होने के कारण उन्हें आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ता है और इसकी भरपाई समिति को करनी पड़ती है जबकि समिति इसके लिए जिम्मेदार कही से भी नही होता हैं। शासन को चाहिए कि 72 घंटे के भीतर उठाव में होने वाले लेटलातीफी एवं लापरवाही करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों से इस अंतर राशि की वसूल करनी चाहिए।

अब देखना होगा कि संघ द्वारा दिए गए ज्ञापन में डीएमओ द्वारा किस तरह की कार्रवाई की जाती है? क्या 125 उपार्जन केंद्र के खरीदी प्रभारी और समिति के सदस्यों को राहत मिलेगी या फिर एक सप्ताह बाद उन्हें अपने हक के लिए धरना प्रदर्शन करना पड़ेगा?

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