गलत इलाज करने से 17 वर्षीय युवक की मौत होने के मामले पर आयोग ने डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन पर लगाया 34 लाख रुपए का जुर्माना

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गलत इलाज करने से 17 वर्षीय युवक की मौत होने के मामले पर आयोग ने डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन पर लगाया 34 लाख रुपए का जुर्माना

डॉक्टरों ने बिना मलेरिया टेस्ट किए 17 वर्षीय युवक को इंजेक्शन लगा दिया, जिसके कारण कुछ ही देर में युवक की हालत बिगड़ने लगी। तबीयत ज्यादा बिगड़ने के बाद युवक की मौत हो गई थी। घटना वर्ष 2011 की है, दल्ली राजहरा निवासी पार्वती साहू और उनके पति अशोक साहू ने परिवारवाद दायर कर डॉक्टरों की लापरवाही से 17 वर्ष के बेटे की मौत की जानकारी आयोग को दी थी।

इसकी जानकारी मिलते ही जिला और सत्र न्यायाधीश संतोष शर्मा ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रवीण मिश्रा को बुलाकर परिवार वादियों को निशुल्क अधिवक्ता प्रदान किया। साथ ही संतोष शर्मा, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के आदेशानुसार आ वेदिका को पैनल अधिवक्ता के माध्यम से जानकारी प्रदान करवा रहे थे। आयोग ने डॉक्टरों तथा प्रबंधन से जुड़े लोगों पर गलत इलाज करने से युवक की मौत होने के मामले में 19 लाख रुपए 12% वार्षिक ब्याज के साथ कुल 34 लाख रुपए जुर्माना लगाया है।

16 अप्रैल 2011 को परिवादियों ने बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया। सुजीत को झटका आ रहा था। दोनों चिकित्सकों ने बगैर मलेरिया टेस्ट किए मलेरिया का इंजेक्शन लगा दिया। इसके कारण सुजीत को हरे रंग की उल्टियां हुईं।परिवादियों ने आयोग को बताया कि उनके बेटे की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन लोगों ने उसे सेक्टर-9 अस्पताल में ले जाने की बात कही। तब डा. जाना ने उनके बेटे को बांधकर आक्सीजन लगा दिया। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर डाक्टर ने सुजीत को ब्रेन ट्यूमर होने की बात कहकर 15 दिन के अंदर मौत होने की बात कही।

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