कलेक्टर ने व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र धारक की मृत्यु उपरांत वारिसान को सौंपा नामांतरण पत्र

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कलेक्टर ने व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र धारक की मृत्यु उपरांत वारिसान को सौंपा नामांतरण पत्र

वन अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत वारिसानों के नाम पर एफआरए पत्र का नामांतरण करने की जा रही कार्यवाही

जगदलपुर – राज्य शासन के निर्देशानुसार व्यक्तिगत वन अधिकारों के अधिकार अभिलेखीकरण तथा वन अधिकार पत्रधारकों की मृत्यु उपरान्त उनके विधिक वारिसानों को अधिकार हस्तांतरण संबंधित कार्यवाहीके परिपालन में कलेक्टर श्री विजय दयाराम के. मार्गदर्शन में सभी तहसील में व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रधारकों की मृत्यु उपरान्त उनके विधिक वारिसानों को अधिकार हस्तांतरण संबंधित कार्यवाही किया जा रहा है। कलेक्टर श्री विजय ने बुधवार को जगदलपुर अनुभाग के वन अधिकार पत्रधारक सरगीपाल निवासी जगबंधु की मृत्यु उपरान्त उनके विधिक वारिसान पत्नी डोमानी जगबंधु को वनाधिकार पत्र वितरण किया। इसी प्रकार सभी तहसील में बुधवार को दो-दो वारिसान को एफआरए पत्रक वितरण किया गया। जिले में इस प्रकार के लगभग तीन हजार 800 प्रकरण है।

गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति तथा अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 छत्तीसगढ़ राज्य में वर्ष 2008 से लागू है। इस अधिनियम का उद्देश्य वनों में निवास करने वाली अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासियों को काबिज भूमि पर वन अधिकारों की मान्यता प्रदाय करना है, ताकि उनके भूमि का विवरण शासकीय अभिलेखों में दर्ज किया जा सके और इसके साथ ही उन्हें काबिज भूमि के अधिभोग का अधिकार प्रदाय किया जा सके, जिससे उनकी खाद्य सुरक्षा एवं आजीविका को सुनिश्चित किया जा सके। इसके साथ ही स्थानीय समुदाय के माध्यम से वनों की सुरक्षा, संरक्षण एवं प्रबंधन को सुदृढ़ करते हुए परिस्थितिकीय संतुलन भी बनाये रखना है।

वन अधिकार नियम, 2007 एवं संशोधित नियम 2012 के प्रावधान 12 (क) (9) के अनुसार हक जारी करने की प्रक्रिया पूरी होने पर राजस्व विभाग एवं वन विभाग इस प्रकार निहित वन भूमि का अंतिम मानचित्र तैयार की जाएगी और संबद्ध प्राधिकारी इस प्रकार निहित वनाधिकारों को यथास्थिति राजस्व और वन विभाग के अभिलेखों में सुसंगत राज्य विधियों के अधीन अभिलेख अद्यतन किया जा रहा है इसके साथ ही अधिनियम की धारा-4 की उपधारा 4 (1) अनुसार यह अधिकार वंशानुगत होगा।

अधिनियम की धारा-4 की उपधारा 4 (1) द्वारा प्रदत्त कोई अधिकार वंशानुगत होगा, किन्तु संक्रमणीय या अन्तरणीय नहीं होगा और विवाहित व्यक्तियों की दशा में पति-पत्नी दोनों के नाम में संयुक्त रूप से और यदि किसी घर का मुखिया एकल व्यक्ति है तो एकल मुखिया के नाम में रजिस्ट्रीकृत होगा तथा सीधे वारिस की अनुपस्थिति में वंशागत अधिकार अगले निकटतम संबंधी को चला जाएगा। राज्य में जारी व्यक्तिगत वन अधिकारों के अधिकार अभिलेखीकरण तथा वन अधिकार पत्रधारकों की मृत्यु उपरान्त उनके विधिक वारिसानों को अधिकार हस्तांतरण संबंधित कार्यवाही, अन्य भूमि संबंधित कार्यवाही हेतु विस्तृत प्रक्रिया राज्य शासन की समसंख्यक अधिसूचना छत्तीसगढ़ राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित की गई है।

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