मुख्यमंत्री को भा गई थी इनके हाथों से बनी चप्पलें, रीपा के माध्यम से चप्पलों का निर्माण कर महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

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Chief Minister liked the slippers made by his hands, women are becoming self-sufficient by making slippers through Ripa

कोरबा। वनांचल ग्राम चिर्रा की अनुसुइया बाई को अपने काम पर बड़ा ही गर्व है। कल तक हाथों में कोई काम नहीं होने की वजह से बेरोजगार अनुसुइया बाई जय माँ भगवती स्व सहायता समूह की अध्यक्ष भी है। गाँव में ग्रामीण औद्योगिक पार्क स्थापित होने के पश्चात चप्पल निर्माण करने वाली इस समूह की महिलाओं ने 90 हजार रुपए के चप्पल बेचे, जिससे अब तक 35 हजार रुपए की कमाई कर ली है। हालांकि अभी इन्हें यह काम करते कुछ ही दिन हुए हैं, लेकिन एक तरफ सभी को अपने पैरों में खड़ा होकर आत्मनिर्भर बनने की खुशी है, वहीं अपने हाथों से बनाएं चप्पल को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा पसंद किए जाने से इन ग्रामीण महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ गया है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री बघेल 22 मई को भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में ग्राम चिर्रा पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने चिर्रा में रीपा अंतर्गत संचालित गतिविधियों का अवलोकन किया था और चप्पल बनाने वाली समूह की महिलाओं के कार्यों की सराहना करते हुए उनसे एक जोड़ी चप्पल भी लिए थे।

कोरबा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम चिर्रा का चयन ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) के लिए किया गया था। शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर वनांचल में रीपा की स्थापना किसी चुनौती से कम नहीं थीं। अब जबकि यहाँ गौठान परिसर से चंद दूरी पर रीपा संचालित हो रहा है तो ग्राम चिर्रा सहित आसपास के अनेक गाँव की महिलाओं ने अपना व्यवसाय प्रारंभ किया है। जय माँ भगवती स्व-सहायता समूह से जुड़कर ये महिलाएं चप्पल का निर्माण कर रही हैं।

समूह की अध्यक्ष अनुसुइया बाई ने बताया कि हम सभी 12 सदस्य है और यहाँ मशीन से चप्पल बनाने का प्रशिक्षण भी लिया है। उन्होंने बताया कि पुरुष वाले चप्पल की कीमत 70 से 80, लेडिस चप्पल 60 से 70 रुपए और बच्चों का 30 से 40 रुपए में बेचते है। यहाँ से चप्पलों को गाँव के हाट बाजार भी ले जाकर बेंचते हैं। ग्रामीणों को भी यह चप्पलें पसन्द आ रही हैं।

अध्यक्ष अनुसुइया बाई और सदस्य अनिता राठिया ने बताया कि वह जब से रीपा से जुड़ी है तब से हाथ मे काम मिल गया है। आदिवासी विकास विभाग से दो हजार चप्पलों का ऑर्डर मिलने के साथ कई संस्थाओं से भी ऑर्डर मिल रहा है। अभी 900 जोड़ी चप्पल बना लिए है। इससे लगभग 35 हजार की आमदनी भी हुई।

अध्यक्ष ने बताया कि कुछ कार्यों के लिए गांव के ही पुरुष सदस्यों को जिम्मेदारी दी गई है। उनके पति जोगी राम भी चप्पलों को बनाने और बेचने में सहयोग करते हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि चिर्रा में ग्रामीण औद्योगिक पार्क स्थापित होने से अब हमें गाँव से बाहर नहीं जाना पड़ता। गॉंव में ही रोजगार की व्यवस्था भी हो गई है और हमारी आमदनी भी धीरे-धीरे बढ़ रही है।

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