Sunday, February 16, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने UP मदरसा एक्ट की वैधता बरकरार रख इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला पलटा

Must Read

उत्तर प्रदेश ,सुप्रीम कोर्ट ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट की वैधता बरकरार रखी है। यानी प्रदेश में मदरसा एक्ट जारी रहेगा। मदरसे चलते रहेंगे। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सुनाते हुए हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें मदरसा एक्ट को असंवैधानिक बताया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा-यूपी मदरसा एक्ट के सभी प्रावधान मूल अधिकार या संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का उल्लंघन नहीं करते हैं। कोर्ट के फैसले से करीब 17 लाख मदरसा छात्रों को राहत मिली है।

5 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार देने वाले फैसले पर रोक लगा दी थी। केंद्र और UP सरकार से इस पर जवाब भी मांगा था। इससे पहले, 22 अक्टूबर 2024 को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में इस पर सुनवाई हुई थी।

कोर्ट ने कहा था- मदरसों के छात्रों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर करने का निर्देश देना ठीक नहीं है। देश में धार्मिक शिक्षा कभी भी अभिशाप नहीं रही है। धर्मनिरपेक्षता का मतलब है- जियो और जीने दो।

मदरसा एक्ट के खिलाफ पहली बार 2012 याचिका दायर हुई। ये याचिका दारुल उलूम वासिया मदरसा के मैनेजर सिराजुल हक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दायर की थी। फिर 2014 में माइनॉरिटी वेलफेयर लखनऊ के सेक्रेटरी अब्दुल अजीज, 2019 में लखनऊ के मोहम्मद जावेद ने याचिका दायर की थी।

इसके बाद 2020 में रैजुल मुस्तफा ने दो याचिकाएं दाखिल की थीं। 2023 में अंशुमान सिंह राठौर ने याचिका दायर की। सभी मामलों का नेचर एक था। सभी ने एक्ट को रद्द करने की मांग की थी। कहा था- धार्मिक शिक्षा से समाज में भेदभाव पैदा हो रहा। इससे बाद कोर्ट ने सभी याचिकाओं को मर्ज कर दिया।

22 मार्च, 2024 को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 86 पेज का फैसला सुनाया। कोर्ट ने मदरसा को असंवैधानिक घोषित कर दिया। कोर्ट ने कहा- यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है।विभिन्न धर्मों के बच्चों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। धर्म के आधार पर उन्हें अलग-अलग प्रकार की शिक्षा मुहैया नहीं कराई जा सकती। अगर ऐसा किया जाता है तो यह धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन होगा।

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मदरसा अजीजिया इजाजुतूल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 5 अप्रैल, 2024 को सुप्रीम कोर्ट में पहली बार सुनवाई हुई। कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।

कोर्ट ने कहा था- हाईकोर्ट प्रथम दृष्टया सही नहीं है। ये कहना गलत होगा कि यह मदरसा एक्ट धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करता है। यहां तक कि यूपी सरकार ने भी हाईकोर्ट में मदरसा एक्ट का बचाव किया था।

 UP मदरसा बोर्ड एजुकेशन एक्ट 2004 उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित कानून था। इसे राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था। इस कानून के तहत मदरसों को न्यूनतम मानक पूरा करने पर बोर्ड से मान्यता मिल जाती थी।

 UP मदरसा बोर्ड एजुकेशन एक्ट का उद्देश्य मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना और उन्हें आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ना है। साथ ही छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करना भी है। हालांकि, इस कानून का विरोध भी होता रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि यह कानून मदरसों को धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रदान करने से रोकता है।

Latest News

महाकुंभ जा रहे 18 लोगों की भगदड़ से मौत

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात करीब 9:26 बजे भगदड़ से 18 लोगों की मौत हो गई। इनमें...

More Articles Like This