गिद्धराज जटायु के साथ गिलहरी के योगदान को मिला सम्मान..
अयोध्या- रामनगरी में भगवान राम के सहयोगियों का भी सम्मान हो रहा है। माता सीता को रावण के चंगुल से बचाने में अपने प्राण गंवाने वाले गिद्धराज जटायु रामजन्मभूमि परिसर में शोभायमान हैं। रामनगरी में बनने वाले छह प्रवेश द्वारों में तीन उनके परम भक्त एवं सहयोगी हनुमान, गरुड़, एवं जटायु के नाम पर हैं। रामनगरी में अब उस गिलहरी को सम्मान मिला है, जिसने रामसेतु के निर्माण में श्रमदान किया था। रामकाज में परिश्रम करने वाली नन्हीं गिलहरी की भव्य प्रतिमा अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पर स्थापित की गई है।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, लंका तक पहुंचने के लिए जहां वानर दल राम सेतु बनाने के लिए बड़े-बड़े पत्थर और लकड़ी के बड़े-बड़े लट्ठे समुद्र में डाल रहा था। ऐसे समय में एक नन्हीं गिलहरी छोटे-छोटे कंकड़ चुन कर समुद्र में गिरा रही थी। गिलहरी सेतु निर्माण में अपना योगदान दे रही थी। गिलहरी की प्रतिबद्धता और भक्ति से मुदित श्रीराम ने उसे अपने हाथ में उठा लिया और प्यार से उसकी पीठ पर हाथ फेरा, जिससे उसके ऊपर तीन लकीरें बन गई। माना जाता है यह तीन लकीरें गिलहरी को मिले भगवान राम के स्नेह और आशीर्वाद की प्रतीक हैं।
गिलहरी के इस योगदान से वर्तमान पीढ़ी को अवगत कराने के लिए अयोध्या धाम जंक्शन के नवनिर्मित भवन के प्रांगण में इसकी 15 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। यह मौसम प्रतिरोधी कार्टन स्टील से निर्मित की गई है। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक रेखा शर्मा ने कहा कि उस गिलहरी की तरह, भारतीय रेल भी राष्ट्र निर्माण और अयोध्या के श्रद्धालु एवं यात्रियों के लिए योगदान देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। यही कारण है कि हमने एक गिलहरी की मूर्ति को चुना है। यह रेलवे की प्रतिबद्धता और भक्ति का संदेश देती है।