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बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में रविवार देर शाम को काछनगुड़ी में संपन्न हुई विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा की महत्वपूर्ण रस्म काछनगादी ।धार्मिक अनुष्ठान में काछनदेवी ने ऐतिहासिक दशहरा पर्व मनाने की स्वीकृति प्रदान की। बस्तर की राजपरिवार के कमलचंद भंजदेव को काछनदेवी ने स्वीकृति सूचक प्रसाद भेंट किया। प्रसाद मिलने के बाद बस्तर दशहरा का समारोह अब धूमधाम से प्रारंभ हो जाएगा। देर शाम भंगाराम चौक स्थित काछनगुड़ी में आयोजित इस धार्मिक अनुष्ठान में बड़ी संख्या में श्रद्वालु जुटे थे।
परंपरानुसार काकतीय राजवंश की ओर से कमलचंद भंजदेव ने इस कार्यक्रम की अगुवाई की। राजमहल से पैदल राजपरिवार के सदस्य, राजगुरु, राजपुरोहित, रियासतकालीन समय से राजपरिवार से जुड़े समाजों के प्रतिनिधियों के साथ धूूूमधाम के साथ जुलूस लेकर काछनगुड़ी पहुंचे जिसके बाद अनुष्ठान प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर आतिशबाजी भी की गई।
भैरव भक्त सिरहा के आव्हान पर क्वांरी कन्या पीहू दास पर काछनदेवी सवार हुई। जिन्हेंं बेल के कांटो से बने झूले पर लिटाकर झुलाया गया। यह परंपरा प्राचीन काल समय से कायम है। काछनदेवी को रण-देवी भी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार काछनदेवी धन धान्य की रक्षा भी करती हैं।इस धार्मिक अनुष्ठान में बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष सांसद महेश कश्यप, उपाध्यक्ष सहित सभी सदस्य, विधायक किरण सिंह देव, महापौर संजय पांडे व अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ बस्तर के मांझी, मुखिया, मेंबर-मेंबरिन, अधिकारियों में आयुक्त डोमन सिंह, आईजी सुंदरराज पी, कलेक्टर हरीस एस, पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा, सहित कई अधिकारी भी उपस्थित थे।
बाइट-कमल चन्द भंजदेव, बस्तर राजपरिवार सदस्य।