ग्वालियर ,राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का पूरा फोकस यूपी विधानसभा चुनाव है। ग्वालियर में चल रहे विविध संगठन प्रचारक प्रशिक्षण वर्ग के चौथे दिन चुनाव समेत युवा शक्ति और घर-घर तक पहुंचने के लिए ‘हर घर दस्तक अभियान’ पर चर्चा हुई। साथ ही घर-घर पहुंचकर सामाजिक समरसता का माहौल बनाने को कहा गया है। आरएसएस ने प्रचारकों को यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं पर ध्यान केंद्रित करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा को विपक्षी गठबंधन से कड़ी टक्कर मिली थी। 2027 में यहां विधानसभा चुनाव होने हैं। इसीलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सामाजिक पहलुओं के साथ राजनीतिक पहलुओं पर खुलकर चर्चा की। आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने सभी प्रचारकों के विचार भी जाने, साथ ही सामाजिक समरसता पर जोर दिया।
आरएसएस सूत्रों के मुताबिक रविवार को प्रचारक वर्ग के सत्र की शुरुआत भारत माता की पूजा के साथ हुई। इसके बाद सभी प्रचारकों से युवाओं को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने को कहा गया। यूपी में आगामी समय में राजनीतिक और सामाजिक माहौल पर विचार मांगे गए।
आखिर में सभी प्रचारकों को युवा शक्ति को ज्यादा से ज्यादा अपने विचारों से परिचित कराने और उनसे संपर्क करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। संघ ने 2012 में जॉइन आरएसएस (वेबसाइट के जरिए) शुरू किया था। इसके तहत ऑनलाइन हर साल एक से सवा लाख युवा संघ के साथ अलग-अलग गतिविधियों में जुड़ रहे हैं। इस साल भी जून के अंत तक 66 हजार 529 लोगों ने संपर्क कर संघ से जुड़ने की इच्छा जताई थी।
कार्यक्रम में सबसे बड़ा मुद्दा हिंदू समाज में सामाजिक समरसता है। आरएसएस सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की मौजूदगी में कार्यकारी मंडल के पदाधिकारियों ने संगठन के सभी 11 क्षेत्र और 46 प्रांत प्रचारकों को संघ के एजेंडे (पंच परिवर्तनों के द्वारा हिंदू समाज में सामाजिक समरसता लाने के प्रयास) को निचले स्तर तक ले जाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
साथ ही सभी पदाधिकारियों से संघ का संदेश घर-घर पहुंचाने का आह्वान किया। इस दौरान समाज के अलग-अलग वर्गों के बीच संघ के कार्यों और आगामी वर्षों के कार्यक्रमों की रूपरेखा पर चर्चा हो रही है।
ग्वालियर के केदारपुर धाम में दिवाली (31 अक्टूबर) से 4 नवंबर तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रशिक्षण वर्ग आयोजित है। इसमें आरएसएस के 31 संगठनों के 554 प्रचारक शामिल हुए हैं। इसमें वही कार्यकर्ता हिस्सा ले रहे हैं, जो सामाजिक जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय रहते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक संघ का प्रशासक होता है। कोई भी उद्देश्य और विचार कार्यकर्ताओं और आम लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी प्रचारक की होती है। प्रचारक बनना आसान नहीं है। इसकी शर्तें ही अपने आप में इसे चुनौतीपूर्ण बनाती हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक वही बन सकता है, जो अविवाहित हो। प्रचारक में से ही कोई निकलकर भाजपा का क्षेत्रीय संगठक और पदाधिकारी बनता है।