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कोरबा : छत्तीसगढ़ राजपूत समाज एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने रायपुर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग और राज्य सरकार को सामूहिक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में दावा किया गया है कि करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह तोमर और उनके परिवारजनों के साथ पुलिसकर्मियों ने अमानवीय व्यवहार, मारपीट, दुर्व्यवहार और अश्लीलता जैसी गंभीर घटनाएं की हैं।
समाज ने कहा—अपराध का समर्थन नहीं, लेकिन पुलिस अत्याचार अस्वीकार्य
राजपूत समाज का कहना है कि वे किसी भी अपराध का समर्थन नहीं करते और संविधान के दायरे में होने वाली कानूनी प्रक्रिया का विरोध नहीं करते। लेकिन पुलिस द्वारा किए गए कथित अमानवीय अत्याचार, महिलाओं के साथ अशोभनीय व्यवहार और मानवाधिकार उल्लंघन किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किए जा सकते।
कस्टडी में दुर्व्यवहार के आरोप
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि सोशल मीडिया और उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार—
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गिरफ्तारी के बाद पुलिसकर्मियों ने बिना न्यायिक आदेश के जुलूस निकाला।
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वीरेंद्र सिंह तोमर को हथकड़ी में, नंगे पैर शहर में घुमाया गया।
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D.K. Basu बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में निर्धारित दिशानिर्देशों की अनदेखी की गई।
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बेहोश होने पर एक पुलिसकर्मी द्वारा उनके पैरों पर जूता रखकर उठाने की कोशिश की गई—जो मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन बताया गया है।
महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का भी आरोप
ज्ञापन में यह भी आरोप लगाए गए हैं कि पुलिस ने—
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तोमर की पत्नी,
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72 वर्षीय मां,
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बेटी
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और महिला वकील संगीता सिंह
के साथ भी बिना कारण बताए अभद्रता और अमानवीय व्यवहार किया। यह घटना न केवल महिला सुरक्षा, बल्कि पुलिस जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन—ज्ञापन में आरोप
सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह मामला संविधान के—
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अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार)
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अनुच्छेद 21 (जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता)
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अनुच्छेद 22 (गिरफ्तारी और हिरासत से संबंधित अधिकार)
का स्पष्ट उल्लंघन है।
उच्चस्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग
राजपूत समाज ने सभी शीर्ष संवैधानिक एवं मानवाधिकार संस्थाओं से अनुरोध किया है कि मामले की स्वतंत्र, निष्पक्ष और त्वरित जांच कर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
इसके अलावा समाज ने कहा कि पुलिस को कानून लागू करने का अधिकार है, लेकिन अमानवीयता, प्रताड़ना और महिलाओं के साथ अशोभनीय बर्ताव किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

