हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के पोल ऑफ पोल्स:हरियाणा में 10 साल बाद कांग्रेस की वापसी के आसार, J&K में कांग्रेस-NC बना सकते हैं सरकार

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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की वोटिंग खत्म होने के बाद एग्जिट पोल के नतीजे सामने आ रहे हैं। हरियाणा में कांग्रेस सरकार में वापसी करती दिख रही है। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के सत्ता में आने का अनुमान है।

हरियाणा के 8 और जम्मू-कश्मीर के 5 एग्जिट पोल्स सामने आए हैं। इनमें भास्कर का रिपोर्टर्स पोल भी शामिल है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की 90-90 सीटों पर वोटिंग पूरी हो चुकी है। नतीजों का ऐलान 8 अक्टूबर को होगा। इन राज्यों में सरकार बनाने के लिए 46 सीटों पर जीत की जरूरत है।

दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव पर ने भी रिपोर्टर्स पोल कराए हैं। इनमें हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है। जम्मू-कश्मीर में हंग असेंबली का अनुमान है। यहां महबूबा मुफ्ती की PDP और निर्दलीय विधायक किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं।

चुनाव से पहले सिर्फ दो एजेंसियों ने ओपिनियन पोल कराए थे। हरियाणा में टाइम्स नाउ-मैट्रिज के ओपिनियन पोल में त्रिशंकु विधानसभा के आसार हैं। जम्मू और कश्मीर में लोकपोल ओपिनियन सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस और NC की सरकार बनती दिख रही है।

ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल चुनावी सर्वे है। ओपिनियन पोल को चुनाव से पहले किया जाता है। इसके नतीजे भी चुनाव से पहले जारी होते हैं। इसमें सभी लोगों को शामिल किया जाता है। मतलब जरूरी नहीं की सर्वे के सवालों का जवाब देने वाला मतदाता ही हो। इस सर्वे में अलग-अलग मुद्दों के आधार पर जनता के मूड का अनुमान लगाया जाता है।

एग्जिट पोल चुनाव के दौरान किया जाता है। इसके नतीजे सभी फेज के मतदान खत्म होने के बाद जारी किए जाते हैं। एग्जिट पोल एजेंसियों के अधिकारी वोटिंग के दिन मतदान केंद्रों पर मौजूद होते हैं। वे मतदान करने के बाद वोटर्स से चुनाव से जुड़े सवाल पूछते हैं।

वोटर्स के जवाब के आधार पर रिपोर्ट बनाई जाती है। रिपोर्ट का आकलन किया जाता है, जिससे पता चले कि वोटर्स का रुझान किस तरफ ज्यादा है। इसके बाद नतीजों का अनुमान लगाया जाता है।

हरियाणा में 22.2% जाट वोटर्स हैं। राज्य की 90 में से 40 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर इनका प्रभाव है। 2014 के विधानसभा चुनाव में जाटों ने बड़ी संख्या में भाजपा को वोट दिया था। इसके कारण भाजपा ने 47 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया और कांग्रेस 10 साल की सत्ता से बाहर हो गई।

हालांकि, 2019 में जाट भाजपा के खिलाफ हो गए। इसका असर रिजल्ट पर देखने को मिला। भाजपा 47 से 40 सीटों पर आ गई। JJP और 7 निर्दलीय विधायकों के साथ भाजपा ने सरकार बनाई। कांग्रेस को 17 सीटों का फायदा हुआ। पार्टी ने 2014 में 15 सीटें जीती थीं। 2019 में यह आंकड़ा 31 हो गया।

  • हरियाणा में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनावों के पैटर्न को देखें तो छोटी पार्टियां और निर्दलीय सरकार बनाने में अहम रोल अदा करती है।
  • ओमप्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) से गठबंधन किया है। दूसरा क्षेत्रीय दल दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) है। दुष्यंत ने चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (ASP) से गठजोड़ किया है। आम आदमी पार्टी (AAP) पहली बार सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
  • ओपिनयन पोल में किसी को बहुमत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो INLD-BSP और JJP-ASP का गठबंधन किंग मेकर की भूमिका निभा सकते हैं। 2019 विधानसभा चुनाव में JJP ने 10 सीटें जीती थीं। इनके समर्थन से भाजपा की सरकार बन सकी थी। दुष्यन्त चौटाला को डिप्टी CM बने थे। हालांकि चुनाव से पहले गठबंधन टूट गया।

जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए। 2014 में हंग एसेंबली के बाद BJP और PDP ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें BJP बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। 2024 में जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 90 सीटों पर हुई वोटिंग में 908 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। इनमें 365 निर्दलीय थे। जम्मू-कश्मीर में 1967 से 2024 तक किसी भी विधानसभा चुनाव में निर्दलियों की यह दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।

पिछली विधानसभा चुनाव 2014 में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली PDP ने इस बार सभी 90 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में PDP और निर्दलीय विधायक किंगमेकर साबित हो सकते हैं। इंजीनियर राशिद की पार्टी भी सरकार बनाने की भूमिका में हो सकती है।

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