मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, परिजनों से दुर्व्यवहार….कब तक ?

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मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, परिजनों से दुर्व्यवहार….कब तक ?

“जिला बना, सीएमएचओ मौजूद” लेकिन व्यवस्था मे नही हुआ सुधार….

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सारंगढ़ मे मरीजों के स्वास्थ्य के साथ मजाक़, जिम्मेदार कौन…!

सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन अधिक संख्या में लोग अपने इलाज के लिए आते हैं। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में कम खर्चे में इलाज संभव हो जाता है। साथ ही सरकार की ओर से व्यवस्थित होने के कारण अस्पताल में इलाज कराने हेतु विश्वास भी बढ़ जाता है। परंतु इस समय सारंगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था अत्यंत खराब स्थिति में पहुंच चुकी है।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य और उसके साथ-साथ समुदाय के स्वास्थ्य हेतु महत्त्वपूर्ण सेवाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है। नियमतः मरीजों के उचित देख-रेख के लिए अच्छी चिकित्सा सुविधाएँ सारंगढ़ मे उपलब्ध होनी चाहिए, इसके विपरीत यहाँ उल्टी गंगा बाह रही है नर्सिंग स्टाफ की दुर्व्यहार की शिकायत से लेकर लचर चिकित्सा के आरोप के साथ आज भी पॉलीथिन मे खाना परोसना शायद प्रबंधन समिति की आदत गरीब मरीजों की नियति बन गई है।

माना कि प्लास्टिक हमारी ज़िंदगी में हर कहीं मौजूद है. सुबह उठकर प्लास्टिक की पन्नी में दूध लाने से शुरू कर दिन में प्लास्टिक के टिफ़िन में खाना ले जाने से लेकर शाम को प्लास्टिक की कटोरी और चम्मच में जंक फ़ूड खाने तक हर कहीं प्लास्टिक मौजूद है। बहुत सारी रिसर्च बताती हैं कि जब हम खाना प्लास्टिक के कंटेनर में रखते है तो उसमें से कुछ मात्रा में केमिकल्स हमारे खाने या पानी में मिल जाते है. ये केमिकल दिखते तो नहीं लेकिन धीमे धीमे हमारे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचते हैं। विगत 01 जुलाई से देशभर में प्लास्टिक बैग से संबंधित 19 आइटम्स पर बैन लगा दिया गया है। देश में पिछले कुछ सालों से प्लास्टिक से जुड़े सामानों पर प्रतिबंध लगाने की कवायद तो चल रही है लेकिन ये सही तरीके से लागू नहीं हो पा रहा है, इसका जीता जागता प्रमाण सारंगढ़ स्वास्थ्य केंद्र है जहाँ बिमारी के उपचार मे आये गरीब मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है अर्थात मरीजों को आज भी प्लास्टिक झिल्ली मे खाना दिया जा रहा है।

जिला बना फिर भी नही बदली तस्वीर 

कहने को सारंगढ़ बिलाईगढ़ जीला अस्तित्व मे आए महीनों बित गए लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सारंगढ़ मे आज भी व्यवस्था जस की तस है । आपको बता दे कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सारंगढ़ मे ज्यादातर गरीब एवं ग्रामीण तबके के मरीज ही आते हैँ, उन्हे जिला बनने के बाद यकीन था कि अब सारंगढ़ मे बेहतर इलाज संभव हो पाएगा लेकिन अब महीनों बित गए बेहतर इलाज तो दूर की बात, मरीजों के लिए एक कैंटीन तक नशीब नही है।

पॉलीथिन मे परोसा जाता है खाना 

एक स्वास्थ्य केंद्र जहाँ स्वयं मुख्य चिकित्सा अधिकारी रहते है वहाँ भी मरीजों को गर्म भोजन पॉलीथिन मे भरकर दिया जाता है। ऐसे मे सबको ज्ञान और सलाह देने वाले डॉक्टर्स पॉलीथिन मे खाना बंटवा कर मेडिकल साइंस को झूठा साबित करने मे लगे हैँ, या हो सकता है सारंगढ़ समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे दी जाने वाली पॉलीथिन सेहतमंद हो ?

मरीजों से बदसलुकी कि शिकायत आम बात ?

ग्रामीण गरीब,आदिवासीयो कि माने तो बेहतर चिकित्सा सुविधा तो दूर कि बात बल्कि नर्सिंग कुछ नर्सिंग स्टॉफ की व्यवहार भी आये दिन चर्चा का विषय बनी रहती है। कुछ दिन पहले वनांचल क्षेत्र के एक्सीडेंटल मरीज को 112 के माध्यम से समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया तो आधे घंटे तक सिर्फ कम्पाउंडर के भरोसे रक्त साफ कर टिंचर लगाने को कहा था, जबकि बुजुर्ग दर्द मे कराह रहा था। परिजनों द्वारा बार बार नर्सिंग स्टॉफ को जाकर अनुनय विनय करने पर मोबाइल को नर्सो द्वारा गुस्से मे रखकर मरीज को देखने जाना पड़ा। परिजनों ने मीडिया को शिकायत कि तब जाकर डॉक्टर आये और मरीज को रायगढ़ रेफर किया गया।

मरीज के परिजनों से भी दुर्व्यवहार –

विगत दिनों ग्राम बटाऊपाली से उल्टी दस्त बिमारी मे महिला की इलाज हेतु सारंगढ़ स्वास्थ्य केंद्र गये मरीज के पति ने जब दस्त नही रुकने पर नाईट मे उपस्थित डॉक्टर को मरीज की पीड़ा बताई तो डॉक्टर ने बहुत ही बदतमीजी से बात जरते हुए फटकार लगाई और बेहूदा शब्दो का प्रयोग भी किया जिसकी शिकायत भी उक्त परिजन ने मीडिया से की थी।

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