Patna Opposition Unity Meeting : पटना में हो रही विपक्षी पार्टियों की बैठक खत्म, विपक्षी नेता साथ तो बैठ गए, लेकिन साथ लड़ेंगे कैसे?

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Patna Opposition Unity Meeting : The meeting of opposition parties in Patna is over, the opposition leaders have sat together, but how will they fight together?

Patna Opposition Unity Meeting : लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मजबूत मोर्चेबंदी के लिए 15 भाजपा विरोधी दलों का पटना में महाजुटान हुआ। सीएम नीतीश कुमार के आवास पर करीब पौने चार घंटे तक विपक्ष की बैठक चली। बैठक में नीतीश को गठबंधन का संयोजक बनाने पर चर्चा हुई है। बैठक की शुरुआत में ही ममता बनर्जी ने नेताओं से महत्वाकांक्षा का त्याग करने की बात करके मीटिंग का टोन सेट कर दिया कि सबको कुर्बानी देनी होगी तभी विपक्ष एकजुट हो सकेगा।

ममता ने कल लालू यादव से मुलाकात के बाद भी कहा था कि एक के खिलाफ एक लड़ेगा जो नीतीश के वन अगेंस्ट वन के फॉर्मूला को टीएमसी का समर्थन माना जा रहा है। बैठक में जहां शिवसेना यूबीटी के उद्धव ठाकरे ने दिल्ली के अध्यादेश को लेकर अरविंद केजरीवाल की आप को समर्थन देने की बात उठाई वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने केजरीवाल से धारा 370 पर आप का रुख साफ करने को कहा। केजरीवाल ने अपने भाषण में दिल्ली सरकार के अधिकार को लेकर केंद्र के अध्यादेश की चर्चा की और राज्यसभा में सबका समर्थन मांगा।

बैठक में कौन-कौन हुआ शामिल

विपक्षी बैठक में जेडीयू से नीतीश कुमार, ललन सिंह, संजय झा के अलावा कांग्रेस पार्टी से मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, आरजेडी से लालू यादव, तेजस्वी यादव, मनोज झा, एनसीपी से शरद पवार, सुप्रिया सुले, प्रफुल्ल पटेल, सीपीएम से सीताराम येचुरी, सपा से अखिलेश यादव, शिवसेना यूबीटी से उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राउत, जेएमएम से हेमंत सोरेन, टीएमसी से ममता बनर्जी, अभिषेक बनर्जी, डेरेक ओ ब्रायन, डीएमके से एमके स्टालिन, टीआर बालू, AAP से अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, संजय सिंह, राघव चड्ढ़ा, पीडीपी से महबूबा मुफ्ती, सीपीआई से डी राजा, सीपीआई एमएल से दीपांकर भट्टाचार्य समेत अन्य नेता मौजूद रहे।

विपक्षी नेता साथ तो बैठ गए, लेकिन साथ लड़ेंगे कैसे?

बीजेपी के खिलाफ मजबूत विपक्षी मोर्चेबंदी को लेकर पहली बार पटना में बैठक हुई, जिसमें 15 दलों के नेता शामिल हुए। विपक्षी नेता साथ तो बैठ गए, लेकिन उनके बीच कई मुद्दों पर विरोधाभास देखे गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस पर सवाल उठाए। वहीं, उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के फैसले पर केजरीवाल से अपना रुख साफ करने को कह दिया। इसी तरह ममता बनर्जी ने भी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के रवैये पर नाराजगी जताई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने क्षेत्रीय नेताओं को राज्यों में नेतृत्व देने की मांग की। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि इन मुद्दों पर अगर बात नहीं बनी तो सभी दल एकजुट होकर 2024 में साथ कैसे लड़ेंगे।

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