कोरोना काल में 15.80 लाख के स्कूल भवन का पंचनामा? क्या सरपंच, सचिव और इंजीनियर ने मिलकर किया अंतिम संस्कार?

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कोरोना काल में 15.80 लाख के स्कूल भवन का पंचनामा? क्या सरपंच, सचिव और इंजीनियर ने मिलकर किया अंतिम संस्कार?

रायपुर – प्रदेश के कई पंचायतों में होने वाले निर्माण कार्यों सहित अन्य योजनाओं में प्राप्त होने वाली राशि में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आते रहते हैं। पंचायत में निर्माण एजेंसी सरपंच और सचिव के साथ जिम्मेदार इंजीनियर द्वारा निर्माण की आड़ में लाखों का गबन कर दिया जाता है।

लेकिन सक्ती जिले में एक ऐसा अनोखा मामला सामने आया है जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। बात दरअसल हैरानी वाली भी है क्योंकि ग्राम पंचायत पोरथा में 15.80 लाख रुपए से बना स्कूल भवन कोरोना काल में समा गया, जिसका पंचनामा भी किया गया है। यही नहीं इस भवन को सरपंच, सचिव और इंजीनियर मिलकर अंतिम संस्कार भी कर दिए?

शायद यह सुनकर आप लोगों को अच्छा ना लगे लेकिन बात बिलकुल सही है। जनपद पंचायत सक्ती अंतर्गत ग्राम पंचायत पोरथा में रूर्बन मिशन अंतर्गत प्राथमिक शाला डोंगिया में प्राथमिक शाला भवन निर्माण हेतु शासन द्वारा 15.80 लाख रुपए की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। इस कार्य को करने के लिए ग्राम पंचायत पोरथा को निर्माण एजेंसी बनाया गया था जिसमें ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव को निर्माण की जिम्मेदारी प्राप्त हुई थी।

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इसके अलावा इस कार्य को तकनीकी रूप से पूर्ण कराने जनपद कार्यालय सक्ती द्वारा पंचायत में सब इंजीनियर भी नियुक्त किया गया था। लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि सरपंच, सचिव और सब इंजीनियर ने मिलकर इस 15 लाख 80 हजार रुपए के प्राथमिक शाला भवन की राशि को गबन कर दिया।

इस बात की जानकारी जब पंचों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हुई तो इसकी लिखित शिकायत जनपद स्तर से लेकर मुख्यमंत्री के कार्यालय तक की गई। शिकायत प्राप्त होने के बाद जिम्मेदार अधिकारी द्वारा जांच भी किया गया। लेकिन जांच में उन लोगों को भी शामिल किया गया जिसने मिलकर इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया था और उनके प्रभाव में आकर जांच टीम ने भी मौके पर निर्माण होना और निर्माण पश्चात मूल्यांकन कर राशि आहरण करने का पंचनामा भी तैयार कर दिया।

आपको बताना चाहूंगा कि पिछले महीने ही ग्राम पंचायत पोरथा के सरपंच मधु श्याम राठौर और तत्कालीन सचिव रुकमणी राठौर के खिलाफ हुए अन्य शिकायत पर जांच करते हुए एसडीएम सक्ती (राजस्व) ने बिना पंचायत प्रस्ताव के 6 लाख रुपए आहरण करने के मामले में रिकवरी करने का आदेश दिया है जिसमें सरपंच और सचिव से 6 लाख की वसूली करने तहसीलदार सक्ती को जिम्मेदारी सौंपी है।

इस तरह ग्राम पंचायत पोरथा में भ्रष्टाचार के अनेकों मामले हैं जिसमें करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़ा होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि गांव के पंचों ने सामूहिक रूप से सरपंच और सचिव के द्वारा 61 लाख रुपए के भ्रष्टाचार करने का गंभीर आरोप लगाया था जिसकी जांच अभी भी लंबित है।

अब इस मामले में महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जब प्राथमिक शाला भवन बना ही नहीं तो उस भवन का निर्माण इंजीनियर द्वारा कैसे पूरा होना बता दिया गया? क्या इंजीनियर ने इस स्कूल भवन का मूल्यांकन किया है? क्या इंजीनियर द्वारा मौके पर उपस्थित होकर कार्य को पूरा कराया गया है? यदि कराया गया है तो क्या इंजीनियर द्वारा विभाग को उक्त भवन के संबंध में निर्माण शुरू होने से लेकर निर्माण पूर्ण होने तक का फोटोग्राफ एमबी बुक में प्रस्तुत किया है?

जब निर्माण हुआ ही नहीं है तो जांच टीम द्वारा शिकायत पश्चात जो जांच कराई गई उसमें जांच अधिकारियों द्वारा आखिरकार किस भवन को प्राथमिक शाला भवन बना होना बताया गया? और कैसे पंचनामा कर जांच प्रतिवेदन बनाया गया, यह भी जांच का विषय है।

इस मामले को लेकर जिम्मेदार अधिकारी को विशेष टीम गठित करते हुए शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ ग्राम वासियों एवं प्राथमिक शाला डोंगिया स्कूल में पदस्थ शिक्षक – शिक्षिकाओं की मौजूदगी में जांच कराने की आवश्यकता है, ताकि शिकायत की वास्तविक पहलू से पर्दा उठ सके और इस भ्रष्टाचार को करने के पीछे कौन-कौन शामिल है उनके भी चेहरे से नकाब हटाया जा सके।

अब देखना होगा कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी क्या कार्रवाई करते हैं या फिर शिकायतकर्ताओं के शिकायत को ठंडे बस्ते में डालकर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का कार्य करेंगे? यह तो जांच कार्रवाई होने के बाद ही पता चलेगा।

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