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पुणे/नई दिल्ली। AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पहलगाम आतंकवादी हमले के वक्त उनके प्रधानमंत्री होने की स्थिति पर पूछे गए सवाल का दिलचस्प और बेबाक जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि वह ख्वाब नहीं देखते, लेकिन एक भारतीय नागरिक के तौर पर उनका मानना है कि सरकार ने उस समय पाकिस्तान को निर्णायक और कड़ा जवाब देने का एक बेहतरीन मौका गंवा दिया।
“ख्वाब देखने का शौक नहीं, मैं हकीकत जानता हूँ”
महाराष्ट्र के पुणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब एक पत्रकार ने ओवैसी से काल्पनिक सवाल किया कि “अगर आप पहलगाम हमले के समय प्रधानमंत्री होते तो क्या करते?” तो ओवैसी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
उन्होंने कहा, “मेरे भाई, ये ख्वाब देखने का मुझे शौक नहीं है। मैं वास्तविकता (हकीकत) से वास्ता रखता हूँ और अपनी पहुँच की हद जानता हूँ। हमारा मकसद केवल सत्ता में बैठना या मंत्री बनना नहीं है।”
सरकार पर साधा निशाना
हालांकि, अपने प्रधानमंत्री बनने की कल्पना को खारिज करते हुए भी, ओवैसी ने पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया पर कड़े सवाल उठाए।
उन्होंने कहा, “एक भारतीय नागरिक के तौर पर मैं कहना चाहूँगा कि पहलगाम के बाद हमारे पास पाकिस्तान को कड़ी प्रतिक्रिया देने का एक सच्चा मौका था। यह क्यों रुक गया? मुझे सचमुच नहीं पता कि यह क्यों रुका।”
ओवैसी ने दावा किया कि उस समय गुजरात से लेकर कश्मीर तक पाकिस्तान के ड्रोन मंडरा रहे थे और युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई थी। उन्होंने पूछा कि जब पूरा देश पाकिस्तान को मुँहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार था, तो ऑपरेशन सिंदूर (जवाबी सैन्य कार्रवाई) को अचानक क्यों रोक दिया गया?
“PoK की बातें नहीं, निर्णायक कार्रवाई हो”
ओवैसी ने PoK (पाक अधिकृत कश्मीर) को लेकर संसद में होने वाली चर्चाओं पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, “अब आप संसद में बैठकर PoK हासिल करने की बात करते हैं, लेकिन जब कार्रवाई का मौका था, तब आप रुक गए। ऐसे मौके बार-बार नहीं आते, सरकार ने उसे खो दिया।”
ओवैसी ने साफ कहा कि पाकिस्तान जब तक अपनी सैन्य नीति पर कायम रहेगा और आतंकी समूहों को पनाह देता रहेगा, तब तक भारत की सुरक्षा को खतरा बना रहेगा।