छत्तीसगढ़ में भवन के ऊपर पैदा हो गई धान की फसल? भूमि स्वामी और पटवारी ने शासन को लगाया चूना? क्या होगी एफआईआर?

Must Read

छत्तीसगढ़ में भवन के ऊपर पैदा हो गई धान की फसल? भूमि स्वामी और पटवारी ने शासन को लगाया चूना? क्या होगी एफआईआर?

रायपुर – छत्तीसगढ़ में धान खरीदी समर्थन मूल्य बढ़ने के बाद से फर्जी रकबा पंजीयन कर धान बेचने के अनेकों मामले सामने आने लगे हैं। फर्जी रकबा पंजीयन कराकर किसान सहित खरीदी केंद्र में कार्य करने वाले जिम्मेदार खरीदी प्रभारी, कंप्यूटर ऑपरेटर और गिरदावरी करने वाले पटवारी इसका सीधा लाभ ले रहे हैं।

इस तरह के चमत्कार तो पूर्व में छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में देखने और सुनने को मिल था। हालाकि इस तरह के कुछ मामलों की शिकायत भी सामने आ चुकी है। लेकिन जिम्मेदार विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने की बजाय मामले को दबाने में लग रहे यही कारण है कि आज इनके हौसले बुलंद हो चुके हैं।

छत्तीसगढ़ के एक जिले में ऐसा अनोखा मामला सामने आया है जो हर कोई को हैरान कर देगा। बड़ी खबर है कि एक किसान/ भूमि स्वामी द्वारा खुद के 92 डिसमिल व्यावसायिक मद में परिवर्तित भूमि जिस पर पूरे क्षेत्रफल में भवन भी निर्मित है जिसका लाभ भी अन्य कार्य में लिया जा रहा है उसमें भी धान उपजा लिए और समर्थन मूल्य पर धान की बिक्री भी कर दी।

इस भूमि की गिरदावरी करने वाले पटवारी ने भी किसान को लाभ पहुंचाने के लिए जमकर सहयोग देने का काम किया है। यही कारण है कि 92 डिसमिल में बने भवन में भी फसल उगा दी और गिरदावरी करते हुए भौतिक निरीक्षक कर फसल उपजने का सत्यापन भी कर दिया।

पटवारी द्वारा किए गए गिरदावरी में चौकाने वाली बात तो यह है कि क्या पटवारी द्वारा गिरदावरी करते समय उक्त खसरा नंबर भूमि में निर्मित भवन के ऊपर फसल उगना दिखाया है या फिर भवन को किसी मशीनरी के द्वारा हवा में उठाकर उसके नीचे फसल उपज हुए देखा है। यह पहला मामला होगा जिसमें इस तरह के चमत्कार पटवारी के द्वारा किया गया है।

इस चमत्कार के पीछे आखिर किसका षड्यंत्र है? और किसके इशारे पर बने भवन में भी धान उपजने सत्यापन का कार्य किया गया है? यह तो जांच का विषय है। लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि इस तरह षड्यंत्र कर कागजों में धान उगाने वाले किसान/ भूमि स्वामी और पटवारी दोनों ने ही गंभीर अपराध किया है जो कि आईपीसी की धारा 420, 120 बी की श्रेणी में आता है और वह गैर जमानतीय है?

ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि प्रशासन ने फसल की गिरदावरी कर सही जानकारी देने का जिम्मा संबंधित हल्का के पटवारी को सौपा था लेकिन उन्होंने अपनी सही जिम्मेदारी नहीं निभाई। वही भूमि स्वामी द्वारा यदि उक्त खसरा नंबर की भूमि में फसल नहीं उगाई गई थी तो उन्हें शासन द्वारा समर्थन मूल्य से मिलने वाले लाभ को नहीं लेना था क्योंकि इस खसरा नंबर की भूमि में जितनी भी मात्रा में धान का विक्रय हुआ है उसका राशि सीधा किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर किया गया है।

जल्द ही इस मामले से जुड़े हर बिंदुओं का खुलासा किया जाएगा।

Latest News

एकता विहार दादरखुर्द के लोगों की मांग पर कैबिनेट मंत्री ने सीसी रोड़ और नाली बनवाने का दिया आश्वासन…

कोरबा :- छत्तीसगढ़ राज्य के कैबिनेट मंत्री लखनलाल देवांगन से उनके निवास स्थान पर एकता विहार दादरखुर्द वार्ड क्रमांक...

More Articles Like This