रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज वित्त, आवास एवं पर्यावरण एवं योजना, आर्थिक व सांख्यिकी विभाग के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 12 हजार 389 करोड़ 29 लाख रुपए से अधिक की अनुदान मांगें पारित की गई. इसमें वित्त विभाग से संबंधित व्यय के लिए 11 हजार 109 करोड़ 43 लाख 25 हजार रुपए, आवास एवं पर्यावरण से संबंधित व्यय के लिए 1 हजार 208 करोड़ 36 लाख 72 हजार रुपए, योजना, आर्थिक व सांख्यिकी विभाग से संबंधित व्यय के लिए 71 करोड़ 49 लाख 60 हजार रुपए की अनुदान मांगे पारित की गई.
वित्त मंत्री ओपी चौधरी वित्त विभाग के अनुदान मांगों की चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कॉन्सिलिडेटेड सिंकिंग फंड का भी प्रावधान हमने बजट में रखा है. राज्य के कुल ऋण मांग पांच फीसदी जमा होने का नियम है. हमने सीएसएफ में 7.3 फीसदी की राशि जमा की हुई है. झारखंड में 2.04 फीसदी है. पंजाब में 2.95 फीसदी है. तेलंगाना में सीएसएफ 2.23 फीसदी है. कर्नाटक में करीब 4 फीसदी है. जहां-जहां कांग्रेस या समर्थन की सरकार है, वहां वहां वित्तीय स्थिति ख़राब है. दो दिन पहले एक इंटरव्यू में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने कहा है कि तनख्वाह के पैसे भी नहीं बचते हैं. तेलंगाना में हैदराबाद जैसा शहर है.
कर्नाटक जिसके पास बैंगलोर जैसा शहर है, उस कर्नाटक में पिछले चार महीने से गृह लक्ष्मी योजना का पेमेंट नहीं हुआ है. छत्तीसगढ़ ग्रोथ एंड इस्टेबलिटी फंड हमने बनाया है. हम देश के अग्रणी राज्य है. हमारा राज्य माइनिंग पर बहुत निर्भर करता है. अंतर्राष्ट्रीय कारको पर माइनिंग फण्ड निर्भर करता है. इसकी वजह से वित्तीय असंतुलन ना हो इसलिए हमने इस फंड को बनाया है.
ओपी चौधरी ने कहा, बैंकों के ब्रांच की बात हो, डीबीटी के प्रोसेस को आगे बढ़ाने की बात हो, हमारी सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है. टेक्नोलॉजी के ज़रिए सुशासन को मजबूत करने हमने कोई कसर नहीं छोड़ा है. वित्तीय रूप से हम सभी वेलफेयर स्कीम को लागू करने में सफल हुए हैं. किसानों को धान खरीदी का भुगतान, भूमिहीन कृषि मजदूरों का भुगतान, महतारी वंदन योजना, पीएम आवास जैसी कल्याणकारी योजनाएं सफलता से संचालित है. तीस हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त राशि का भार सरकार पर पड़ा है. फिर भी इस चुनौती को पार कर हम आगे बढ़ने में सफल हुए हैं.