कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया

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कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया

जगदलपुर – बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता धरोहर, प्राकृतिक सुंदरता एवं बस्तर की संस्कृति को देखते हुए राष्ट्रीय उद्यान को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किए जाने हेतु कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में प्रोफेसर एम एल नायक, रिटायर्ड प्रोफेसर एवं एचओडी, लाइफ साइंस, पंडित रवि शंकर विश्वविद्यालय, रायपुर, डॉ भूमेश भदौरिया, टेक्निकल ऑफिसर, वाइल्डलाइफ इंस्टीटूट ऑफ इंडिया, डॉ जयंत बिस्वास, डायरेक्टर, नेशनल केव रिसर्च व प्रोटेक्शन, प्रत्युष महापात्रा, साइंटिस्ट, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, अमितांशु झा, एचओडी, जियोलॉजी, काकतीय विश्वविद्यालय, मोहम्मद नाहर, फैकल्टी, आईआईटीएम, भुबनेश्वर, पर्यटन विशेषज्ञ आदि शामिल थे।

वैश्विक विरासत हेतु कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के नामांकन हेतु विशेषज्ञ द्वारा विभिन्न मानदंड बताए गए एवं ओयूवी निर्धारण के विषय पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों द्वारा कांगेर घाटी के लिविंग हेरिटेज पर चर्चा की गई। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के गुफाओं की विविधता व उनकी संरचना से पृथ्वी के इतिहास का अध्ययन पर विचार रखे गए। वहीं राष्ट्रीय उद्यान के अनोखे जैव विविधता पर भी जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ द्वारा चर्चा की गई। राष्ट्रीय उद्यान के वनौषधियों एवं उनके महत्व पर भी चर्चा हुई। एंथ्रोपोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ द्वारा राष्ट्रीय उद्यान की प्राकृतिक विविधता का सांस्कृतिक विरासत से मिलन पर भी प्रकाश डाला गया। पार्क के डायरेक्टर धम्मशील गणवीर द्वारा बताया गया कि इस चर्चा से कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के वैश्विक विरासत नामांकन हेतु कई अहम पहलुओं पर चर्चा की गई।

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