मेरठ: छात्रवृत्ति के दायरे में अब पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने एक नई प्रणाली लागू की है। फर्जीवाड़ा रोकने के उद्देश्य से अब स्कॉलरशिप पाने के इच्छुक छात्रों के लिए बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है। यह नई व्यवस्था मेरठ समेत पूरे राज्य में लागू हो रही है और अब छात्रों को स्कूल में ही बायोमैट्रिक मशीन के जरिए अपने अंगूठे का निशान देना होगा। इसके बिना छात्रवृत्ति का लाभ मिलना नामुमकिन होगा।
स्कूल-कॉलेजों में फर्जीवाड़े पर लगेगी लगाम
अब केवल छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि स्कूल के प्रधानाचार्य और छात्रवृत्ति नोडल अधिकारी को भी जिला समाज कल्याण अधिकारी के कार्यालय में जाकर बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन करवाना अनिवार्य किया गया है। पिछले कुछ दिनों से समाज कल्याण कार्यालय में यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिससे अब फर्जी एडमिशन लेकर छात्रवृत्ति हासिल करने वालों पर नकेल कसी जा सकेगी।
ग्रेजुएशन तक के छात्रों को मिलती है छात्रवृत्ति
प्रदेश सरकार ने नौवीं कक्षा से लेकर ग्रेजुएशन तक के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना चलाई है। अब तक यह योजना ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से संचालित होती थी, जिसमें पहले छात्रों की जानकारी लखनऊ तक पहुंचती और फिर जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा राशि जारी की जाती थी। हालांकि, कुछ जनपदों में इस प्रक्रिया में गड़बड़झाला पाया गया था, जिसके चलते फर्जी एडमिशन के जरिए कई संस्थान अनैतिक रूप से स्कॉलरशिप ले रहे थे।