केंद्र सरकार देशभर में एयर कंडीशनर्स (AC) के तापमान को लेकर एक नया नियम लागू करने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जानकारी दी है कि सरकार जल्द ही एक ऐसा नियम लाने जा रही है, जिसके तहत AC को 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे सेट नहीं किया जा सकेगा, जबकि अधिकतम तापमान 28 डिग्री तक सीमित रहेगा।
एनर्जी सेविंग की दिशा में बड़ा कदम
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री खट्टर ने इसे ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency) बढ़ाने के लिए अहम पहल बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम देश में बिजली की खपत को नियंत्रित करने और AC उपयोग में एकरूपता लाने के लिए उठाया जा रहा है। AC को बहुत कम तापमान पर चलाने से न केवल बिजली की खपत बढ़ती है, बल्कि पावर ग्रिड पर भी भारी दबाव पड़ता है।
नई सीमा का मकसद
भारत में अधिकतर घरों और ऑफिस में AC को 20 डिग्री सेल्सियस या उससे नीचे तक सेट किया जाता है। बढ़ती गर्मी और AC की बढ़ती मांग के कारण अब ऊर्जा खपत को मैनेज करना राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गया है। इस नई नीति का उद्देश्य घरों और वाणिज्यिक स्थलों पर ऊर्जा की बचत को बढ़ावा देना है।
क्या होगा बदलाव यूजर्स के लिए?
अगर ये नियम लागू होता है, तो मौजूदा AC जो 16 या 18 डिग्री तक कूलिंग देते हैं, अब उन्हें 20 डिग्री न्यूनतम और 28 डिग्री अधिकतम तक ही सीमित किया जाएगा।
लोगों से ली गई राय
सरकार और ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) ने इस नियम पर पब्लिक सर्वे भी कराया। mygov.in पोर्टल पर यह सर्वे 25 मार्च 2025 तक चला, जिसमें लोगों से उनकी पसंदीदा AC टेम्परेचर रेंज पूछी गई थी, ताकि उनकी आदतों और आराम के स्तर को समझा जा सके।
बिजली की बचत में कितनी मदद?
BEE के अनुसार, अगर AC का तापमान 20 डिग्री से बढ़ाकर 24–25 डिग्री किया जाए, तो करीब 24% बिजली की बचत संभव है। हर 1 डिग्री तापमान बढ़ाने पर 6% तक बिजली बचाई जा सकती है। अगर देश के आधे AC यूजर इस नियम को अपनाएं, तो सालाना 10 बिलियन यूनिट्स बिजली, करीब 5,000 करोड़ रुपये का बिल और 8.2 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन घटाया जा सकता है।