कोरबा। 21 सितंबर 2024 को आयोजित हाइब्रिड नेशनल लोक अदालत में कई वर्षों से लंबित मामलों का सफल निपटारा किया गया। इसमें वृद्ध महिला, बेसहारा परिवार और श्रमिकों से संबंधित प्रकरणों का समाधान कर उन्हें न्याय प्रदान किया गया। लोक अदालत ने अपने फैसलों के माध्यम से कई पीड़ित परिवारों को नया जीवन सहारा दिया।
पहले मामले में एक महिला ने मानसिक, आर्थिक और शारीरिक प्रताड़ना से तंग आकर अपने पति के खिलाफ धारा 144 बीएनएसएस के तहत भरण-पोषण का आवेदन प्रस्तुत किया। महिला का आरोप था कि पति ने मेडिकल कार्ड में इलाज की सहमति नहीं दी और प्रताड़ना के कारण उसे घर छोड़ना पड़ा। दोनों पक्षों ने हाइब्रिड नेशनल लोक अदालत में आपसी समझौता किया और आवेदिका को 15,000 रुपये मासिक भरण-पोषण देने का फैसला हुआ। यह राशि प्रत्येक माह की 10 तारीख तक सीधे महिला के बैंक खाते में जमा की जाएगी।
दूसरे मामले में एक वृद्ध महिला ने अपने पुत्र के खिलाफ आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें उसने अपने बेटे को कोल इंडिया स्पेशल फिमेल वॉलिंटियर स्कीम 2014 के तहत अनुकंपा नियुक्ति दी थी। पुत्र ने शपथ पत्र के माध्यम से हर महीने अपनी मां को वेतन का 50% भरण-पोषण के लिए देने का वादा किया था, लेकिन विवाह के बाद उसने अपनी मां को घर से बाहर कर दिया और भरण-पोषण राशि देने से इंकार कर दिया। मामला अदालत में पहुंचने पर, दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से 30,000 रुपये मासिक भरण-पोषण देने का निर्णय लिया।
एक अन्य महत्वपूर्ण मामले में श्याम कुमार निषाद ने 2014 में पसान थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि आरोपीगण ने उसे नकली सोने की बट्टियां असली बताकर 4,96,000 रुपये ठग लिए थे। यह मामला 10 वर्षों से लंबित था, जिसे नेशनल लोक अदालत के माध्यम से सुलझाया गया। दोनों पक्षों ने अदालत में आपसी राजीनामा किया, जिससे यह मामला शांतिपूर्ण ढंग से निपट गया।
नेशनल लोक अदालत में 2012 से लंबित श्रमिक कानून से संबंधित मामले का भी निपटारा हुआ। कंपनी और श्रमिकों के बीच हुए विवाद को राजीनामा के आधार पर सुलझाया गया, जिससे श्रमिकों को न्याय मिला और यह प्रकरण शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त हुआ।
नेशनल लोक अदालत ने इन मामलों में त्वरित न्याय देकर पीड़ितों को राहत प्रदान की और यह साबित किया कि अदालतें समाज के हर वर्ग को न्याय दिलाने में सक्षम हैं। इस लोक अदालत के माध्यम से कई लोगों को उनका हक और न्याय मिला, जो कि एक सकारात्मक पहल है।