सरकारी संसाधनों का बड़ा नुकसान:अनुपस्थिति रोकने व्यापमं-पीएससी में रेलवे का फार्मूला लागू करने पर चर्चा

Must Read

व्यापमं और पीएससी भर्ती परीक्षाओं में लगातार यह देखा जा रहा है कि परीक्षार्थी आवेदन तो करते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में देने नहीं आते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन परीक्षाओं के लिए कोई फीस नहीं लगती। रविवार 25 अगस्त को प्रयोगशाला सहायक व प्रयोगशाला तकनीशियन भर्ती की परीक्षा में भी आधे से ज्यादा परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। इससे सरकारी संसाधनों का बड़ा नुकसान होता है। इस पर रोक लगाने के लिए एक्सपर्ट की राय है कि इन परीक्षाओं में भी रेलवे भर्ती का फार्मूला लागू किया जाना चाहिए। हाल ही में रेलवे ने पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती निकाली है। इसकी फीस 500 रुपए है।

भारत की दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन अरिघात बनकर तैयार:6000 टन वजन, 750 km तक मिसाइल अटैक की रेंज; कल नेवी को मिल सकती है

लेकिन परीक्षा में शामिल होने पर परीक्षार्थियों को 400 रुपए वापस हो जाएंगे।एक्सपर्ट का कहना है कि व्यापमं व पीएससी की परीक्षाओं की फीस भी निर्धारित होनी चाहिए और जो परीक्षा में शामिल हो उसकी पूरी फीस वापस की जाए। ऐसा होने से युवाओं पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। इसी तरह जो परीक्षा के प्रति गंभीर होंगे वे ही आवेदन करेंगे। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में पहले व्यापमं व पीएससी की परीक्षाओं के लिए दो सौ से तीन सौ तक फीस ली जाती थी।

प्रदर्शन:पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश से बदसलूकी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कांग्रेसियों को पुलिस ने खदेड़ा

व्यापमं की ओर से 15 सितंबर को छात्रावास अधीक्षक की भर्ती परीक्षा आयोजित की जाएगी। कुल 300 पदों पर भर्ती के लिए छह लाख आवेदन मिले हैं। ज्यादा संख्या में आवेदन आने से 32 जिला मुख्यालयों में परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक बड़ी परीक्षाओं के लिए प्रति छात्र खर्च करीब डेढ़ सौ रुपए आता है। इसके आंसरशीट, प्रश्नपत्र, गोपनीय सामग्री ले जाने का खर्च, केंद्र का खर्च समेत अन्य शामिल है। यानी छह लाख छात्रों की परीक्षा पर 9 करोड़ का खर्च आएगा। परीक्षा में यदि एक लाख या इससे ज्यादा उम्मीदवार शामिल नहीं होते हैं तो इससे बड़ा ​आर्थिक नुकसान होगा।

रेलवे के फार्मूले को अपनाएंशिक्षाविद व संयोजक निजी महाविद्यालय संघ छग, राजीव गुप्ता का कहना है कि व्यापमं या पीएससी से होने वाली भर्ती या प्रवेश परीक्षा में जितने फार्म आते हैं, उसके अनुसार संंबंधित संस्था को तैयारी करनी पड़ती है। आवेदन के अनुसार प्रश्न पत्र व आंसरशीट की व्यवस्था करनी पड़ती है। साथ ही सेंटर बनाने पड़ते हैं। बाद में परीक्षा​र्थियो की उपस्थिति काफी कम होने से नुकसान होता है। इसे रोकने के लिए रेलवे के फार्मूला को प्रयोग के तौर पर अपनाना चाहिए।

शिक्षाविद और विभागाध्यक्ष अग्रसेन महाविद्यालय, डॉ. अमित अग्रवाल का कहना है कि परीक्षा शुल्क माफ होने से वे छात्र भी आवेदन कर रहे हैं जो गंभीर नहीं है। इससे दूसरे छात्रों को नुकसान होता है। इसलिए व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। फीस माफ करना अच्छा है। लेकिन पहले सभी छात्रों से एक निश्चित शुल्क लें और फिर बाद मे जो परीक्षा मे शामिल हो उनके अकाउंट में वह पैसे वापस किए जाए। ऐसा होने से जो छात्र गंभीर होंगे उनके ही आवेदन आएंगे।

Latest News

सयुंक्त सचिव भारत सरकार एवं आकांक्षी जिला प्रभारी डॉ. शोभित जैन ने आकांक्षी ब्लॉक तोकापाल का किया भ्रमण

जगदलपुर, 21 सितम्बर 2024/ भारत सरकार खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव एवं आकांक्षी जिला प्रभारी अधिकारी...

More Articles Like This