*कटघोरा वन मंडल में स्टॉप डेम निर्माण में बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा, मुख्य वन संरक्षक ने मांगा जवाब*

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कोरबा। कटघोरा वन मंडल में भ्रष्टाचार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिससे यहां के अधिकारी और कर्मचारी सवालों के घेरे में आ गए हैं। हाल ही में स्टॉप डेम निर्माण से जुड़ा एक नया घोटाला सामने आया है, जिसे लेकर अब उच्च स्तर पर जांच की जा रही है। मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) बिलासपुर वन वृत्त ने इस मामले में गड़बड़ी पकड़ते हुए कटघोरा वन मंडल अधिकारी (डीएफओ) से जवाब तलब किया है।

दरअसल, 5-6 साल पहले स्वीकृत हुए स्टॉप डेम के निर्माण के लिए अब पुनरीक्षित दर से राशि की मांग की जा रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ स्टॉप डेम जो स्वीकृत ही नहीं हुए थे, उनके लिए भी धन की मांग की गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकारी धन का भारी दुरुपयोग किया जा रहा है।

 

पसान वन परिक्षेत्र पहले भी कई भ्रष्टाचार के मामलों में सुर्खियों में रहा है। यहां स्टॉप डेम निर्माण के नाम पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गई हैं। वर्ष 2018-19 में कैम्पा मद के अंतर्गत स्वीकृत स्टॉप डेम के निर्माण कार्यों में अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हो पाई है। हालात यह हैं कि पांच-छह साल बाद इन डेमों के लिए फिर से बड़ी राशि की मांग की जा रही है, जबकि पहले ही इन डेमों के निर्माण के लिए धन आवंटित किया जा चुका था।

 

मुख्य वन संरक्षक ने इस मामले में डीएफओ से कई अहम सवाल पूछे हैं, जिनमें पुराने और नए प्राक्कलन में अंतर, पहले से व्यय की गई राशि का हिसाब-किताब, और स्टॉप डेम की डिज़ाइन में किए गए संशोधन शामिल हैं। साथ ही यह भी सवाल उठाया गया है कि जिन डेमों की स्वीकृति ही नहीं मिली थी, उनके लिए धन की मांग किस आधार पर की जा रही है।

इससे स्पष्ट है कि स्टॉप डेम निर्माण के नाम पर बड़े पैमाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है। अधिकारियों की मिलीभगत से इस गड़बड़ी को अंजाम दिया जा रहा है।

 

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुशासन की बात करने वाली सरकार इस मामले में कितनी गंभीरता से कार्रवाई करती है। क्या दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी अन्य भ्रष्टाचार मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? फिलहाल, वन विभाग में चल रही इस भर्राशाही को लेकर लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

सरकारी धन के दुरुपयोग और वन संपत्ति के अवैध दोहन के इस मामले ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और अब दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है।

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