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नई दिल्ली: युवाओं को बेहतर रोजगार अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई केंद्र सरकार की पीएम इंटर्नशिप योजना में कई बड़े सुधार किए जा रहे हैं। योजना के शुरुआती दो चरण सफल नहीं रहे, जिसके बाद सरकार ने इसका गहन अध्ययन कराया। इस अध्ययन में योजना की चार प्रमुख खामियाँ सामने आईं, जिनमें कंपनी की लोकेशन और उम्र सीमा जैसी समस्याएं शामिल थीं। इन खामियों को दूर करने के लिए कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने एक नया रोडमैप तैयार किया है।
इस नए रोडमैप को अब प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपा जाएगा। इसके बाद, इस योजना को साल 2026-27 में ₹10,000 करोड़ से अधिक के बड़े बजट के साथ दोबारा लागू किया जाएगा। फिलहाल इस योजना का बजट ₹380 करोड़ है, जिसे काफी बढ़ाया जा रहा है।
योजना में किए जा रहे प्रमुख बदलाव:
- न्यूनतम उम्र सीमा: इंटर्नशिप के लिए न्यूनतम उम्र 21 साल से घटाकर 18 साल की जाएगी। इससे अधिक से अधिक युवा इस योजना का लाभ उठा सकेंगे।
- बढ़ेगा स्टाइपेंड: इंटर्न्स को मिलने वाले स्टाइपेंड (वजीफा) की राशि में बढ़ोतरी की जाएगी, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें और योजना में उनकी रुचि बढ़े।
- अवधि में विस्तार: इंटर्नशिप की अवधि को 6 महीने से बढ़ाकर एक साल तक किया जाएगा। इससे इंटर्न्स को काम सीखने और अनुभव प्राप्त करने का पर्याप्त समय मिलेगा।
- अन्य खामियाँ दूर होंगी: कंपनी की लोकेशन जैसी अन्य खामियों को भी दूर किया जाएगा, ताकि युवाओं को देश की शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप का मौका मिल सके।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के बजट भाषण में इस योजना की घोषणा की थी, जिसके तहत 5 साल में देश की टॉप 500 कंपनियों में 1 करोड़ युवाओं को पेड इंटर्नशिप देने का लक्ष्य रखा गया था। इस योजना के लिए 15 नवंबर तक रजिस्ट्रेशन भी हुए थे, लेकिन खामियों के कारण इसे रोक दिया गया था। अब इन बड़े बदलावों के साथ, सरकार को उम्मीद है कि यह योजना युवाओं के लिए अधिक प्रभावी और फायदेमंद साबित होगी।