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ऐतिहासिक रियासत कालीन भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा (गोंचा पर्व) धूमधाप से मनाया गया । पुरी के बाद बस्तर ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां तीन रथों में रथयात्रा निकाली जाती है। रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के रथों को निकाला जाता है। इस दिन तुपकी (एक प्रकार का बांस का बना हथियार) से सलामी देने की अनूठी परंपरा भी है। मान्यता है आज के दिन भगवान अपने भक्तों को दर्शन देने स्वंय श्री मंदिर से बाहर निकलते है । आज से नौ दिनों तक भगवान अपने मौसी अर्थात जनकपुरी में रहेंगे और वहीं भक्तों को भगवान के दर्शन होंगे।
बस्तर गोंचा महापर्व में आरण्यक समाज द्वारा प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इन नौ दिनों तक भक्तों का तांता लगा रहता है। और इस दौरान लगातार सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते है।