Saturday, April 26, 2025

कोरबा: तहसीलों में दलालों का अतिक्रमण, न्यायालयीन कार्यों में गैर लाइसेंसी लोगों पर प्रतिबंध

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कोरबा, 24 अक्टूबर 2024: कोरबा जिले के विभिन्न तहसील मुख्यालयों में न्यायालयीन कार्यों के बीच गैर-लाइसेंसी और अनाधिकृत व्यक्तियों की बढ़ती दखल चिंता का विषय बन गई है। बिना किसी वैधानिक अधिकार के कई दलाल न्यायालयीन प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप कर रहे हैं, जिससे न केवल सरकारी कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है बल्कि आम जनता से अवैध रूप से धन ऐंठा जा रहा है। यह समस्या कोरबा, करतला, कटघोरा, पाली, और पोड़ी-उपरोड़ा समेत कई तहसीलों में देखने को मिल रही है, जहां दस्तावेज लेखन, शपथ पत्र निर्माण, और स्टाम्प की बिक्री जैसे कार्यों में अनाधिकृत लोगों की सहभागिता सामने आई है।

गैर-लाइसेंसी व्यक्तियों पर कार्यवाही

हाल ही में पोड़ी-उपरोड़ा तहसील के तहसीलदार ने न्यायालयीन कार्यों में गैर-लाइसेंसी और अनाधिकृत लोगों की संलिप्तता की शिकायत पर संज्ञान लिया। अधिवक्ता संघ कटघोरा के अध्यक्ष द्वारा तहसील परिसर में अवैध रूप से शेड निर्मित कर ग्रामीणों से न्यायालय संबंधी कार्य कराने वाले छह व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। इस शिकायत पर तहसीलदार ने जांच के उपरांत सख्त कदम उठाते हुए छह लोगों को तहसील परिसर में न्यायालयीन कार्य करने से प्रतिबंधित कर दिया।

जांच प्रक्रिया

तहसीलदार ने नायब तहसीलदार पोड़ी-उपरोड़ा से मामले की जांच कराई। जांच के दौरान यह पाया गया कि राजकुमार, दर्शनदास, गंभीरदास और बसंतसिंह तंवर के पास दस्तावेज लेखक, अर्जी लेखक, स्टाम्प वेंडर, या अधिवक्ता लिपिक का कोई वैध अनुज्ञप्ति नहीं थी। वहीं, सुदर्शन कुमार जायसवाल, जो स्टाम्प वेंडर के रूप में कार्यरत थे, उनके द्वारा स्टाम्प बिक्री के साथ-साथ अवैध रूप से टाइपराइटर का उपयोग कर शपथ पत्र, आवेदन पत्र आदि टाइप किए जा रहे थे।

तहसीलदार का आदेश

जांच रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार ने तत्काल प्रभाव से राजकुमार, दर्शनदास, गंभीरदास, और बसंतसिंह तंवर को तहसील परिसर में न्यायालयीन कार्य कराने से प्रतिबंधित कर दिया। इसके साथ ही, सुदर्शन कुमार जायसवाल को भी दस्तावेज लेखन और टंकण कार्य करने से प्रतिबंधित किया गया है। यह आदेश तुरंत प्रभावी कर दिया गया है।

न्यायालयीन कार्यों में पारदर्शिता की आवश्यकता

कोरबा जिले में तहसील परिसर में इस प्रकार के गैर-लाइसेंसी लोगों की दखल से सरकारी कार्यों में गड़बड़ी उत्पन्न हो रही है। ऐसे लोग बिना किसी अधिकार के आम जनता से न्यायालयीन कार्यों के नाम पर अवैध रूप से धन ऐंठते हैं, जिससे लोगों को आर्थिक नुकसान होता है। इस प्रकार की घटनाएं न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं।

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