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आयुष्मान हॉस्पिटल कोरबा में इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप, 27 वर्षीय गर्भवती महिला की मौत — 15 दिनों में जांच रिपोर्ट तलब
कोरबा/छत्तीसगढ़। शारदा विहार स्थित आयुष्मान हॉस्पिटल एक बार फिर सुर्खियों में है। जांजगीर–चांपा जिले के खिसोरा निवासी पारिस साहू ने आरोप लगाया है कि अस्पताल की महिला डॉक्टर ज्योति श्रीवास्तव की लापरवाही के कारण उनकी 27 वर्षीय गर्भवती पत्नी दुर्गेश्वरी साहू की मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि समय पर उचित उपचार और सही चिकित्सा प्रक्रिया अपनाई जाती तो महिला की जान बचाई जा सकती थी।
क्या है पूरा मामला?
पीड़ित पति के अनुसार, 1 अक्टूबर 2025 को वह अपनी 24 सप्ताह की गर्भवती पत्नी को आयुष्मान हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। डॉक्टर ने सोनोग्राफी कराने की सलाह दी। बताया गया कि बच्चे की स्थिति ठीक नहीं है और अबॉर्शन कराने की जरूरत है। दंपति सहमत हुए और डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाइयाँ लेकर घर चले गए।
4 अक्टूबर की रात महिला की तबीयत अचानक बिगड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां अबॉर्शन प्रक्रिया एवं पेट की धुलाई की गई। 5 अक्टूबर की सुबह महिला को डिस्चार्ज भी कर दिया गया।
घर लौटते ही बिगड़ी हालत
घर लौटने के बाद महिला के यूरिनल मार्ग से मल का रिसाव होने लगा। 6 अक्टूबर को दोबारा आयुष्मान हॉस्पिटल लाए जाने पर सोनोग्राफी की गई और परिजनों के अनुसार महिला को यह कहकर बालको हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया कि वहां आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
बालको हॉस्पिटल में सोनोग्राफी के दौरान डॉक्टरों ने बताया कि महिला के पेट में मृत भ्रूण मौजूद है और आंतरिक चोटें भी मिलीं। संक्रमण बढ़ने से महिला की स्थिति लगातार गंभीर होती गई और बाद में उसका निधन हो गया।
अस्पताल प्रबंधन का पक्ष
अस्पताल प्रबंधन से संपर्क करने पर डॉक्टर प्रतीक ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से परहेज़ किया। वहीं, हॉस्पिटल प्रमुख प्रभात पाड़ीग्रह ने मामले को “अनावश्यक रूप से तूल देने” की बात कही। परिजनों का मानना है कि यह प्रतिक्रिया लापरवाही छिपाने का प्रयास प्रतीत होती है।
पीड़ित परिवार की मांग — उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कार्रवाई
मृतका के पति पारिस साहू ने बताया कि वे पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच चाहते हैं और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी की मौत एक बड़ी लापरवाही का परिणाम है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
जांच के आदेश, 15 दिनों में रिपोर्ट
पीड़ित की शिकायत पर मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएमएचओ एस.एन. केसरी को जिलाधीश कार्यालय के माध्यम से जानकारी दी गई। अधिकारियों ने 15 दिनों के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया है।
पीड़ित को न्याय की उम्मीद
परिवार को उम्मीद है कि निर्धारित समय में जांच पूरी होगी और दोषियों पर कार्रवाई करने के बाद उन्हें न्याय मिलेगा।

