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कोरबा/छत्तीसगढ़ पूर्व कैबिनेट मंत्री व वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकी राम कंवर अपने चिरपरिचित अंदाज में फिर एक बार सुर्खियों में है और अपने ही सरकार के प्रशासनिक व्यवस्था कोरबा कलेक्टर खिलाफ आंदोलन धरना देने का अल्टीमेटम दे दिया है!
ननकी राम कंवर ने 14 कंडिका में मुख्यमंत्री से शिकायत लिखकर कोरबा कलेक्टर पर अपने पद का दुरूपयोग और भेदभाव पूर्ण कार्यवाही करने का आरोप लगा रहे हैं और कोरबा कलेक्टर को ट्रांसफर करने का तीन दिन का अल्टीमेटम दिया है!
सूत्रों और मिली जानकारी के अनुसार अपने कट्टर समर्थकों द्वारा किये गए अवैध कब्जा पर कार्यवाही से ननकी राम कंवर में बौखलाहट है और अपने समर्थकों द्वारा किये गए अवैध कब्जा और नियम विरुद्ध कामों में पर्दा डालने के लिए कोरबा कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए शिकायत कर रहे हैं?और सुर्खियां बटोर रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है केवल उनकी ऐ आवाज अपने समर्थकों के लिए है!
पूर्व में ननकी राम कंवर बरपाली तहसील के कनकी ग्राम में उनके कट्टर समर्थक द्वारा शासकीय जमीन पर किये गए अवैध कब्जा को लेकर कोरबा कलेक्टर को “चप्पल मारने” की बात करने का विडियो भी सोशलमीडिया में जमकर वायरल हुआ था! इसी तरह रजगामार में बीजेपी कार्यकर्ता अनिल चौरसिया के द्वारा SECL आवासीय परिसर के B/75 B/76 को पार्टी कार्यालय के नाम से कब्जा कर टेंट हाउस का व्यापार किया जा रहा है।
पूर्व मंत्री ने अपने शिकायत में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए 14 कंडिकाओ का उल्लेख करते हुए DM पर आरोपो की झड़ी लगा दी है लेकिन सवाल यह भी है आरोपो में आमजनों की परेशानियों का कोई उल्लेख नही है,केवल फ़्लोरा मैक्स में ठगी महिलाओं के बात उल्लेखित है ? चलिए मान लेते है शिकायत निराधार नही है तो क्या स्वयं की सरकार की व्यवस्थाओं को कटघरे में खड़े करते हुए जिला दंडाधिकारी के स्थान्तरण के आधार केवल नेताजी के चेहते लोगो के मन के मुताबिक कार्य नही होना विरोध का मुख्य कारण है या और भी कोई बात है ?
उल्लेखनीय है स्वास्थ विभाग के कर्मचारियों के द्वारा लंबे समय से हड़ताल में जाने के कारण जिले के स्वास्थ्य संबंधित सेवाओ पर भी असर पड़ा लेकिन नेताजी के द्वारा इस अव्यस्थाओं को लेकर सीधे किस तरह के कठोर प्रयास किए गए उन प्रयासों को भी सार्वजनिक करने की आवश्यकता है?
भर्ष्टाचार और मनमानियों को लेकर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन व्यक्ति विशेष को टारगेट कर यदि प्रशासनिक कार्यवाही की जाती है तो निश्चित ही इस तरह कि कार्यवाई को द्वेषपूर्ण ही माना जाता है इसका उदाहरण एक कार्रवाई को भी माना जा रहा है जिसमे जिले के एक वरिष्ठ पत्रकार के घर को भरे बरसात में नियमों को ताक पर रख उनके घरेलू सामान को जप्त कर लिया गया जो द्वेषपूर्ण प्रतीत होता है क्योकि कार्रवाई केवल एक पर की गई है? इस कार्रवाई को लेकर पत्रकार साथियों के बीच नाराज़गी भी है संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों को सभी मामलों पर पूरी निष्पक्षता के साथ कार्रवाई करने की आवश्यकता है जाहे वह कोई नेता हो या आम आदमी हो या किसी नेता या मंत्री से ऊंची पहुँच रखने वाले लोग होl